दीपक अरोड़ा
~साथ~
थामो ऐसे हाथ
छूटे ना कभी साथ
जन्मों तक मेरे रहो
कहनी है यही तुमसे बात
न जाना कभी छोड़कर
दिया जो हाथों में हाथ
न जाना कभी छोड़कर
दिया जो हाथों में हाथ
जगदीश पांडेय
~ स्पर्श ~
आज भी याद है मुझे वो
तुम्हारी उंगलियों का स्पर्श
जिसके लिये मैं तरसता रहा
मन ही मन मैं तडपता रहा
तन मन पुलकित हो उठा
मेरा जहाँ अलंकित हो उठा
मेरी संवेदनाओं को हुवा हर्ष
आज भी याद है मुझे वो
तुम्हारी उंगलियों का स्पर्श
.
बालकृष्ण डी ध्यानी
~मधुर मिलन~
मधुर स्वर
के कल कल से
सुस्वर माधुर्य के
इस पल से
तेरा मेरा यूँ ही
हाथों में हाथ रहे
जन्म जन्म
तक ये साथ रहे
साथ अपना
एक स्वर से गूंजे
हाथ अपना
एक पल ना छूटे
साथी मेरे
वो मेरे हमदम
निकल जाये गर ये दम
ना टूटे आत्मा का बंधन
साथ यूँ ही रहना
मेरे वो प्यारे सनम
शरीर तो है ये नश्वर
ये आत्मा का मिलन
अलका गुप्ता
~थाम लो~
लो थाम लो हाथ मेरा ...
अन्धेरा है घना |
आसान हो जाएंगी मंजिलें ...
जो हाथ में हाथ हो तेरा ||
हम चल पड़े साथ हैं ...
मन में लेकर विशवास |
होंगे पूर्ण ..सारे काज ...
लेके चलें ह्रदय में जो आस ||
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
~ ये छूती अंगुलियाँ ~
मेरा रोम रोम
तुम्हारे स्पर्श से
रोमांचित होने लगा है
प्रेम का संचार
विद्दुत गति सा
तन मन पर होने लगा है
कुछ अहसास
स्पर्श पटल से
मन में उभरने लगे है
ये छूती अंगुलियाँ
नरम गरम ख्याल
बीतते पल महकने लगे है
Pushpa Tripathi
~ ये स्पर्श नहीं अब ~
ये छूटता हुआ समय
ये अधूरा सा साथ
अँधेरी दुनियाँ की रातें
नहीं, उजाले के पास ....!!!
स्पर्श अब भी
बीते समय के साथ
वो यादों की रातें
'पुष्प ' उजालो की बात ..... !!!
नींदें खोई थी
जादुई पलों में
गुम थे सुध बुध
तुम्हारे, ही पास ....!!!
इन बिछड़ते युगों में
युगल अलग अलग
हाथो की उँगलियाँ
परस्पर नहीं अब .... !!!
रोहिणी शैलेन्द्र नेगी
~बिछोह~
छोड़ के हाथ मेरा ऐसे मोड़ पर,
जा तो रहा है तू,
पर ये सोच कि तेरा भी कुछ,
छूट तो न जायेगा.......??
अश्कों के बादल, सीने की चुभन,
दिल के जख्मो पे,
कौन तेरे जाने के बाद ,
मरहम लगा पायेगा.....??
हल्की सी खलिश सीने की मेरे,
चैन तो न देगी मुझे,
वफ़ा की आड़ में बेवफाई का दर्द,
जाने कौन अब मिटा पाएगा ||
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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