२८ अप्रैल २०१५ ;तस्वीर क्या बोले' प्रतियोगिता
- मित्रो इस चित्र में दो चित्र है, दोनों चित्र पर आपको अपने भाव लिखने है
- दोनों में से एक चित्र के भाव विपरीत होने आवश्यक है.- अगर एक में खुशी तो दूसरे में गम, एक में साथ तो दूसरे में विरह.
- हर भाव कम से कम ४ पंक्तियों में और अधिकतम ८ पंक्तियों में होना आवश्यक है, भाव में चित्र का क्रमांक अवश्य लिखे.
- मित्रो इस चित्र में दो चित्र है, दोनों चित्र पर आपको अपने भाव लिखने है
- दोनों में से एक चित्र के भाव विपरीत होने आवश्यक है.- अगर एक में खुशी तो दूसरे में गम, एक में साथ तो दूसरे में विरह.
- हर भाव कम से कम ४ पंक्तियों में और अधिकतम ८ पंक्तियों में होना आवश्यक है, भाव में चित्र का क्रमांक अवश्य लिखे.
Pushpa Tripathi * विजेता *
न कर सेहत से मनमानी :-
(१ )
पिज़्ज़ा बर्गर चाट समोसे
मस्ती हुई धमाल
पार्टी की ये शानोशौकत
सेहत पे जंजाल।
अलसाई शरीर को देखो
विषय बना परिहास
वजनी मोटे को जो देखे
कहे नहीं कोई दुब घास।
सुनकर जब दिल भारी हुआ रे
"हाथी हुआ शरीर "
इर्द गिर्द मंडराए कसरत
योग व्यायाम हो जरूर।
(२)
बिना सोच के किया जो कसरत
हालत हुई खराब
मांस पेशियां अक्कड गई तब
कोई नहीं जवाब।
डॉक्टर जी आये कारण बताए
वर्जिश नियम पाल
ट्रेनर से ही सीखो पहले
शरीर की देखभाल।
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
~ बीमार हुआ दिल ~
1.
बड़ा घमंड था खुद पर
हर प्रेम कला में माहिर
दिल चुपके से कहता था
तुम हो मियां बड़े शातिर
दिलो का मैं बेताज बादशाह
हर खूबसूरती दिलो की रानी
परचम इश्क का लहराता रहा
कहते थे मुझे सब राजा जानी
2.
हर एक की नज़र में राजा जानी
करता रहा सबके संग मन मानी
वक्त का मौसम कुछ बदल गया
मोहब्बत हुई कर बैठा मैं नादानी
एक हसीं दिल को मैं दिल दे बैठा
इंकार सुन कर दिल मेरा बैठ गया
प्रेम का भूत पल भर में उतर गया
दिल के डॉक्टर से नाता जुड़ गया
नैनी ग्रोवर
___ये दिल___
1)
दुनियाँ भर के बोझ अब सहा नहीं जाता,
किसने कितनी बार है तोडा,
ये भी कहा नहीं जाता..
देखता है चुपचाप, रिश्तों से ज़ख़्मी बहता लहू,
फिर भी दिल से इनके संग,
बेरुखी से बहा नहीं जाता..!
2)
ये दिल इतराता हुआ, हर पल मुकुराता हुआ,
चाहे हो जाए कुछ भी, सबका साथ निभाता हुआ,
माना के दुनियाँ की बातों से लरज़ जाता है,
मगर फिर बनके चारागर, मेरा हौंसला बढ़ाता हुआ..!
कुसुम शर्मा
दिल है कि मानता नही
..........,...१.............
कभी हँसाता है ये दिल
कभी रूलाता है ये दिल
ये दिल है कि मानता ही नही
अभी उनकी यादों मे खोता है ये दिल
अभी उनको भुलाने की कोशिश करता है ये दिल
ये दिल है कि मानता नही
इस दिल मे बसे है अरमाँ कई
इस दिल के टुकड़े हुए भी कई
फिर भी है ये दिल मानता नही
बताओ इस दिल को मनाये कैसे
इस दिल को अपना बनाये तो कैसे
ये है कि मानता नही !!
२.
इस दिल को बहुत मनाया भी हमने
हर राह पे साथ निभाया भी दिल ने
दिल ने कहा तुझे जो है करना
कर ले तू खुल के बस चार दिन है जीना
हर ख़ुशी से तु न रहे अंजान
हर रिश्ते को दिलो से ले बाँध
वो कहता गया मै सुनती गई
हर पल को मै जीती गई
बालकृष्ण डी ध्यानी
१
दिल
दिल लगा है अपने में
कई सपने बुनने में
सुबह शाम
अब ना इसे मिले आराम
हष्ट पुष्ट दिखने में
निरोगी रहने में
दिन रात
गये बस तेरे इसी ख्याल में
२
दिल
दिल जान ले समझ ले तू
अब ये हकीकत
सुबह शाम
रह गये बस तेरे सपने बुनने में
ना निभा पाया तू
खुद से अपना वाद
दिन रात
अब चक्कर लगने लगे दवाखाने के
प्रभा मित्तल * विजेता *
~~~~~दिल की बातें~~~~~
~~~~~~~~~~~~एक~~~~~~~~~~~~
तुम्हें याद है उस दिन होड़ा-होड़ी में
दिल तुम भी हारे थे हारी थी मैं भी
इसी हार ने जीत ली मन की बाजी-
जहाँ संग-संग हँसने के इरादे थे
जीवन भर साथ चलने के वादे थे
शाम सुरमई ,सुबह का उजाला था
छोटा सा गुलिस्तां हमारा था।
पंखुड़ी से भी नरम, पुष्प जैसा मुस्कुराता
ओस सा पावन, नेह पाकर तुम्हारा,
बँध गई थी मैं अटूट प्रेम के बन्धन में-
इस विस्तीर्ण से आकाश में हृदय की
धड़कनों का अर्थ मुझको मिल गया था।
~~~~~~~~~~~~~~~~~दो~~~~~~~~~~~~~
चल रहा था सभी कुछ यथावत् -
मगर कैसी अचानक ये छाई घटा
अंधेरा घना घिर के आया यहाँ
मैं समर्पित थी रह गई ठगी सी
चार कदम चलकर जमाने के नए,
भीड़ में खो गए तुम जाने कहाँ
प्यार में दर्द मैंने सहा देर तक
द्वार पर खड़ी मैं बाट जोहती रही।
ये अकेलापन भी क्या चीज है
प्रेम में दर्द भी यौं सुहाता नहीं
विरह और मिलन में शंकित हूँ बस,
न जाने विरह कौन सा था, कहूँ,कि
पास तुम नहीं थे मगर साथ हरदम रहे
या उस वक़्त का दर्द बाँट लूँ मैं अब
साथ तुम नहीं थे पास रह कर भी जब।
समझोगे तुम आज क्या मेरी व्यथा
आ गए हो तो बैठो ,न सोचो जरा
छोड़ो, घड़ी दो घड़ी कुछ बातें करें
पुराना भुला कर अब आगे बढ़ें
नहीं गा रही अब विरह गीत मैं
नई ताल पर नया गीत लिख
नया छंद और नई रीत से
दिलों के दर्द बाँट लें फिर
नए साज पर नई आस ले
आगे की राह हम मिल कर चलें।
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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