Kiran Srivastava
~"सूर्य का तोहफा"~
तोहफा देता है ये सूर्य
कार्यों को करता है पूर्ण !
पौधों को पोषण देता
रोगाणु को नष्ट करता
उसके बिना सदा अंधेरा
रोग व्याधि का हो जाये डेरा
उसके बिना जीवन अपूर्ण
तोहफा देता है ये सूर्य !
सदा प्रकृति का है रखवाला
व्याधियों को हरनें वाला
विटामिन डी का है ये स्रोत
उसके बिना नहीं हो ग्रोथ
जीवन को करता परिपूर्ण
तोहफा देता है ये सूर्य !
सूर्य महत्ता को हम जानें
प्रदत तोहफा को पहचानें
जिसका है कीमत अनमोल
नहीं लगे कोई भी मोल
जन-जन को करता संपूर्ण
तोहफा देता है ये सूर्य
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
~ भावो का उपहार दूं ~
शब्द भावो का मेरा संसार
संचित नही कुछ इसके सिवाय
शब्दों की माला कर समर्पित
आओ भावो का तुम्हे उपहार दूं
सत्य हृदय का अवतरित होता
हर शब्द स्वयं होता सम्पादित
प्रेम का हर शब्द तुम्हे समर्पित
आओ भावो का तुम्हे उपहार दूं
अंतरमन मेरे शब्दों में होता उदृत
भानू किरण शब्दों का शृंगार करती
मेरे शब्द मेरी पहचान कर समर्पित
आओ भावो का तुम्हे उपहार दूं
आस विश्वास इनमे कर सुरक्षित
प्रेम को हर शब्द में कर विलय
शब्दों का मेरा संसार तुम्हे समर्पित
आओ भावो का तुम्हे उपहार दूं
निश्छल प्रेम को आधार बना
समुंद्र प्रेम का शब्दों में ढलता
एहसासो का 'प्रतिबिंब' कर समर्पित
आओ भावो का तुम्हे उपहार दूं
अलका गुप्ता
--अनुपमउपहार--
ये जीवन इक नियामत है |
ईश प्रदत्त अमानत है |
मानव जीवन जो पाया |
बड़े भाग्य यह तन पाया |
करें कदर इस तन-मन की
उत्तम संस्कार व्यवहार हो |
समर्पित कर्म उपकार हो |
हर प्राणी हेतु मानो हम
अनुपम इक उपहार हैं ||
समझो यूँ ही सौंप दिए
उस प्रभु ने उपहार हमें |
ये सृष्टि धरा आकाश वतन...
हर प्राणी का साथ हमें |
भानु चन्द्र तारे नक्षत्र..
वायु जल अग्नि प्रकाश हमें ||
हे ईश सौंपे जो उपहार मुझे हैं !
रक्षण अद्भुत कृतियों का करें हम |
स्वच्छ संवार रख रखाव करें हम |
उपहार स्वरूप ये प्राण समझ हम |
विद्रूप भाव व्यवहार सब तजे हम |
सद्बुद्धि पा कल्याण वरें हम ||
Pushpa Tripathi
~करनी की सौगात~.
प्रेम की भाषा
मीठे बोल
सेवा का पल
जीवन में देने और पाने के लिए
शौगात है ~~
तुम पओगे हर जगह
इसे महसूस भी करोगे
प्रकृति में
अपने भीतर भी
दसरों के अच्छे गुणों में
अपनी कविता में
जीवंत विश्वास में
समय के उस कठिन दौर में भी
जब .... वक्त दे जाता है
कुछ नया अनुभव
एक सौगात बेहतर
और भी बेहतर अच्छा फल
करनी की सौगात !
कुसुम शर्मा
~तुम्हें तोहफ़े मे क्या दूँ ?~
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सोचा तो मैने कुछ अनमोल दूँ ,
लेकिन तुम्हें तोहफ़े मे क्या दूँ ?
साँसों की सौग़ात दूँ ,
एहसासों का हार दूँ ,
पर क्या ?
जीवन भर की क़समें ,
दुनिया की रस्में ,
पर क्या ?
अपने ही जज़्बात है
मेरे पास
चाहोगे क्या ?
मुरझाये मुरझाये से ?
ख़ुशियों के पुष्प सारे
ग़म के हार पड़े है डेरों
तुम ही बताओ ?
मुसकान की साँझ ढली है ,
रूदन सवेरा होने को ,
क्या ऐसा कुछ
तुम चाहोगे ?
रूठ गए हो जब
ख़ुशियाँ भी सारी रूठ गई
ऐसी विरह की बैला मे
कहा बचा कुछ
देने को ?
मेरी दुनिया भी तुम से ,
मेरा प्यार भी तुम से ,
मेरी रूह भी तुम
मेरी हर साँस भी तुम से ,
तुम हो अनमोल हमारे लिए ,
तो अनमोल को अनमोल
तोहफ़ा क्या दूँ ??
Pushpa Tripathi
~है ये धरती कितनी धनवान~
हर सुबह नया … आरम्भ लिए
हर किरण रौशनी …जीवन लिए
हर उम्मीद बंधी है .... नींद लिए
हर विश्वास जगा है .... ख़ुशी लिए
स्वछंद, सुंदर, सुशोभित आभूषण से
धानी धरती सिर मुकुट हिमालय से
कल कल धारा नदी स्वर रागिनी से
गीत पवन गुनगुनाता सागर लहरों से
है ये धरती कितनी धनवान
अमृत बानी गीता का ज्ञान
सबकुछ मिला है उपहार स्वरूप
हम है भारतीय हमें अभिमान !
डॉली अग्रवाल
~उपहार~
सोचा था तुम्हे उपहार में लिखकर एक कविता दू
पर तुम सीमित नहीं जिसको शब्दों में बाँध लूँ
तुम बहुत ही अच्छे हो सिर्फ इतना में कैसे कह दूँ
यह मेरे बस में नहीं की तुमको परिभाषित कर दू
नभ् को क्यू छूना चाहू सागर को में क्यों नापू
अथाह प्रेम है यह तुम्हारा जिसमे डूबी रहना चाहू
तुम ही बताओ तुमसे अनमोल क्या
जो में तुम्हे दे पाऊ
बस यही दुआऐं हर पल देना चाहू
तुमपे से खुद को वार दूँ
और मिटटी में मिल जाउ |||
किरण आर्य
~ मेरा उपहार~
जीवन का उपहार हो तुम
हाँ मेरा संसार हो तुम
जीवन पथ है अति दुर्गम
और उसका आधार हो तुम
मन जीव जब होवे अधीर
मन चिंतन वो करे गंभीर
आस निराश डोले है जीवन
साध उसे तुम हरो सब पीर
दो अँखियन की साध हो तुम
रूह से उपजा विश्वास हो तुम
कस्तूरी सी जो मृग में महके
हर धड़कन की सांस हो तुम
आन भी तुम मान भी तुम
जीने का सामान भी तुम
तुझ बिन सदा मैं रही अधूरी
पूर्ण करे जो वो बस तुम हाँ तुम
भगवान सिंह जयाड़ा
------दोस्ती का उपहार----
प्यार की पोटली कहो या उपहार,
आओ करें इसे दिल से स्वीकार,
इस में श्रद्धा प्यार के भाव भरें है,
कुछ खुशियों के अरमान भरे है,
इस में छुपे है कुछ खुशयों के राज,
और महसूश करो अपने पर नाज,
अमीरी गरीबी की हैसियत ना तोलो,
बस एकांत हो तब ही इसे खोलो,
दोस्ती का है यह अमूल्य उपहार,
इस लिए करो इसे सहर्ष स्वीकार,
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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