Thursday, May 19, 2016

तकब २‬ [ तस्वीर क्या बोले प्रतियोगिता #२ ]




#‎तकब२‬ [ तस्वीर क्या बोले प्रतियोगिता #२ ]
मित्रो लीजिये दूसरी प्रतियोगिता आपके सम्मुख है. नियम निम्नलिखित है 
१. इस चित्र में है दो चित्र - दोनों में सम्बन्ध स्थापित करते हुए, कम से कम १० पंक्तियों की रचना का सृजन करे. या दोनों चित्रों पर अलग अलग भाव लिखिए लेकिन कम से कम ८ पंक्तियाँ प्रत्येक रचना में हो
यह हिन्दी को समर्पित मंच है तो हिन्दी के शब्दों का ही प्रयोग करिए जहाँ तक संभव हो. चयन में इसे महत्व दिया जाएगा.
२. प्रतियोगिता में आपके भाव अपने और नए होने चाहिए. रचना को शीर्षक अवश्य दे. 
३. प्रतियोगिता १७ मई २०१६ की रात्रि कोसमाप्त होगी.
४. अन्य रचनाओं को पसंद कीजिये, कोई अन्य बात न लिखी जाए, हाँ कोई शंका/प्रश्न हो तो लिखिए जिसे समाधान होते ही हटा लीजियेगा.
५.. आपकी रचित रचना को कहीं सांझा न कीजिये जब तक प्रतियोगिता समाप्त न हो और उसकी विद्धिवत घोषणा न हो एवं ब्लॉग में प्रकशित न हो.
विशेष : यह समूह सभी सदस्य हेतू है और जो निर्णायक दल के सदस्य है वे भी इस प्रतियोगिता में शामिल है हाँ वे अपनी रचना को नही चुन सकते लेकिन अन्य सदस्य चुन सकते है. सभी का चयन गोपनीय ही होगा जब तक एडमिन विजेता की घोषणा न कर ले.

{ इस प्रतियोगिता के विजेता है ......  सुश्री सीमा अग्रवाल

१.

Kiran Srivastava 
[वृक्षारोपण]
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बाढ वृष्टि सुखा महामारी
आयेंगे सब बारी-बारी
जगने का अब समय हो चुका
उठ जाओ सब बारी-बारी.....
खुद से कर लो अब संकल्प
वृक्षारोपण करेंगे सब.....
पशु-पक्षी सब हुए बेहाल
इनका भी रखना है ख्याल
होते जा रहे विलुप्त अब पक्षी
शायद मानव ही है भक्षी.....
हरियाली अभियान चलाना
वापस हरियाली है पाना
हरियाली इतनी हो जाए
पक्षी डाली पर फिर आए
फिर कलरव गूंजे चहुंओर
सुबह-शाम हो या फिर भोर
पेडों पर हो नीड बसेरा
जब भी जागो तभी सबेरा.....!!!!


२.
भगवान सिंह जयाड़ा 
"हरियाली और खुशहाली"
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चाहिए अगर दुनियाँ में खुशहाली,
लगाओ पेड़ और लाओ हरियाली,

पेड़ पौधों से शुद्ध होगा पर्याबरण,
जीव जन्तुओं की गूंजेंगी किलकारी,

शुद्ध हवा और पानी मिलेगा सबको,
मिट जाएँगी जीवन की सारी दुष्वारी,

पर्याबरण संतुलन दुरस्त रहेगा जब ,
प्राकृतिक आपदाओं से बचे रहेगें हम,

पक्षियों की कलरव ध्वनि मन मोहक,
हरियाली की हो सदा छटा मन मोहक,

संतुलन हमको बना कर रखना होगा ,
पेड़ लगा कर धरती को बचाना होगा,

चाहिए अगर दुनियां में खुशहाली ,
लगाओ पेड़ और लाओ हरियाली,
-----------------------

३.
बालकृष्ण डी ध्यानी

नन्ही कोपल

नन्ही कोपल
पूछे आज आसमान से
दो स्वास जिंदगी के
दे दे इस जहाँ से

कहना है उसे सब से
आज बड़े ही प्यार से
बचा लो इस शांतिदूत को
आज अपने हाथों से

अनियमित पृथ्वी चक्र को
पर्यावरण का संतुलन आधार दे
बस थोड़ा तेरा मुझ को प्यार दे
ढेर सारा मेरा तुझ को प्यार ले

नन्ही कोपल
पूछे आज आसमान से .......


४.
सीमा अग्रवाल 
~एक गीत~
पंख में रख स्वप्न अनगिन
एक पंछी सा उड़ा
बेख़ौफ़ मन जब

पुलकने भर अंजुरी में
नेह की ले मधुर बोली
व्योम ने पूरी सहन में
कल्पनाओं की रंगोली

बिछ गया अभ्यर्थना में
स्वयं बादल
शुभ प्रयोजन हित हुए हैं
आचमन जब

कोंपलों में रोप कर उम्मीद की
शुभकामनाएँ
पोसनी है
'आज' को ही छाँव की
सम्भावनाएँ

प्रार्थनाएं चहुँ दिशा से
गूंजती हैं
श्वेत डैनों पर थिरकती
है लगन जब

संदली सम्वेदनाओं-
से भरा झोका निरंतर
टाँकता है चेतना में नित
सुगन्धित स्वस्ति अक्षर

स्वयं ही आकाश
मंत्रोच्चार करता
साधनायुत कामना
करती हवन जब

[कुछ अर्थ ]
पुलकने --आनंद
पूरी---बनाई
व्योम--गगन
अभ्यर्थना--स्वागत
संदली--चन्दनी
स्वस्ति--कल्याणकारी
#सीमा



५.
अलका गुप्ता 

~~शान्ति कपोत~~
~~~~~~~~~~~~~
करें श्रृंगार !
वसुंधरा का आज !
हरित सार !

हो संवरण !
विनष्ट प्रदूषण !
पौधारोपण !

जागें संस्कार !
हरा भरा संसार !
वन-अंबार !

गुंजित..रव !
गुटुर गूं गुटुर !
शान्ति कपोत !

चाहें समस्त !
वातावरण पुनीत !
हरित शांत !


-----------

६.
नैनी ग्रोवर 
~सृष्टि~

सम्भालो पौधा, ये मांगें तुमसे,
बस थोड़ा सा पानी है,
पाल पोसकर कर देगी बड़ा,
धरती माँ बड़ी सयानी है..

सृष्टि ने बनाया हमको,
अब सृष्टि को बचाना है,
हम सबने, अपने हिस्से का,
इक पौधा ज़रूर लगाना है,
अब भी ना समझे तो,
ये हमारी नादानी है....

बिकने लगा पानी देखो,
अब हवा की बारी है,
इसके लिए क्या ऐ बन्दे,
कर ली तूने, तैयारी है ?
अब तक भी क्यूँ ना तूने,
अपनी गलती पहचानी है ?

महका दें सृष्टि को चलो,
आज से, हम सब मिलकर,
सूख ना जाए कहीं ऎ साथी,
ये लहराता, अनमोल सागर,
आ भरें उड़ान हौसलों की,
ज़िन्दगी बड़ी सुहानी है...!!



७.
Jai Prakash Dangwal
 "नव पीढ़ी की नव जागृति का संकल्प"

संकल्प की भी विभिन्न अवस्थाये होती हैं,
शैशव का संकप, किशोरावस्था का संकल्प,
यौवन का संकल्प.. व्रिधावस्था का संकल्प,
नई पीढ़ी का संकल्प.... एक प्रबल संकल्प,
उसके सुदृढ़ हाथों में संकल्प की मिट्टी में,
संभावनाओं की एवं संयोजनाओं की कोंपलें,
जनहित के लिए प्रस्फुटित नजर आ रही है.

साथ में, शांति दूत कपोत का शांति संदेश,
समस्त दिशाओं में गुंजायमान.. हो रहा है.
पर्यावरण की शुधता के लिए. व्रिक्छारोपण,
और विश्वं में शांति के लिए..... इस चित्र में:

उसके हाथों में... हमारी माटी, माटी में पौध,
विश्वं में... शांति दूत कपोत का शांति संदेश,
और नई पीढ़ी का...... प्रदूषण मुक्ति के लिए,
वृक्षारोपण संदेश स्पष्ट... दृष्टिगोचर हो रहा है.

पेड़़ पौधों और शांति का... सर्वत्र प्रचार प्रसार,
इसके लिए... संसाधन जुटाना यही संकल्प है,
अपनी... "नव पीढ़ी की नव जागृति का संकल्प"


८.
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
~वृक्ष एवं शन्ति~

वृक्ष का कर रोपण, अंकुरित करे एक जीवन
शांति का सन्देश देकर, अहिंसा से जुड़ जाए
भर प्राण वायु प्रकृति में, स्वागत शुद्धता का करे
आओ आज मिलकर, इस धरा को नया जीवन दे

विश्व को आज वैश्विक चिंताओं से पार पाना है
कंक्रीटो की इस दुनिया में, पृथ्वी हो रही विकल
शांति का हमें दूत बन, कल विश्व गुरु बनना है
आओ कर वृक्षरोपण, अपना जीवन करे सफल

शांति और सद्धभावना का, कपोत प्रतीक चिह्न है
वृक्ष मित्रता और शुद्धता का देते हैं हमें सन्देश
हर राष्ट्र शांति और न्याय का हितेषी होता है
आओ पर्यावरण संरक्षण कर अपनाये हरित परिवेश

प्रतिबद्धता हमें अपनी सुनिश्चित करनी ही होगी
रक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी ही होगी
धरती की बैचेनी, हम सबको अब समझनी होगी
आओ शांतिप्रिय बन, वृक्षों से हम मित्रता कर ले


९.

किरण आर्य 
[ दो रचनाये ]
~वृक्ष मित्र
१.
हरीतिमा अब
प्राकृतिक आपदाओ का
है निशाना बनी
पर्यावरण असंतुलन से
धरती का रौद्र रूप
है दिखता
कहर प्रकृति का
है निरीह प्राणी ही झेलता
वृक्ष प्रेम
है सार्वभौमिक उतरदायित्व
हम सबका
वृक्षर्रोपण कर
करे जंगल और वन्य जीवन को
सुरक्षित हम
जन - जीवन में कर बदलाव
पर्यावरण सरंक्षण में
भागीदारी सुनिश्चित करे
कर प्रकृति से रिश्ता कायम
नव जीवन संचार करे

~ॐ शांति ~
२.
शांति के
है हम ही सन्देश वाहक
हो विश्व
आतंकवाद से मुक्त
है ऐसी चाहत सदा
इच्छा और स्वार्थ का
कर परित्याग
शांति के अग्रदूत बने
निष्कपटता और ईमानदारी से
है जीवन को करे सुगम
संतुलम और संयम का
है लहराए हम परचम
बन साक्षी नव जीवन का
शांति के जले नित दीप नए
धर्म और कर्म का
मार्ग अपना कर
है विश्व शांतिदूत बने



१०.
Raj Malpani 
~~सृष्टि/वृक्ष~~

सृष्टि है संकट में
हरित क्रांति लाना है
हम इंसान की है भूमिका
सबको व्रक्ष लगाना है
पर्यावरण की रक्षा करेंगे
रहंगे सदा ख़ुश हाल हम
ध्यान रहे ये बात सदा
पेड़ों से है हम जीवित
पेड़ कटेंगे सन्से कटेगी
सृष्टि भी शून्य होजाएगी
हे मानव तू गगन को छूने
पर्यावरण मीटारहा है
पेड़ रहेंगे हम रहेंगे
हम सब से ख़ुश हाल रहेगा
प्राण बचेंगे पेड़ों के होने से



११.
प्रभा मित्तल
~~जीवन संदेश~~
~~~~~~~~~~~~

प्यासी धरती विकल हो रही
सूखा और महामारी से
विलुप्त हो रहे पक्षी सारे
वृक्षों के हट जाने से।

पर्यावरण और पेड़ों का
बड़ा ही गहरा नाता है
परिंदे भी जुड़े इसी से
प्राणी तो जीवन पाता है।

नीड़ खोजता आया कपोत
लेकर जीवन का संदेश मेरा
स्वच्छ वायु औ जल है जहाँ,
जग में तब ही सुरक्षित बसेरा।

रे मनुज तू ! सोच जरा--
हरियाली चहुँ ओर दिखे,
चल ऐसा कोई उपाय करें।
पौध लगाकर पालें उसको
नव जीवन का संचार करें।

नित्य यदि पौध लगाएँ हम
एक दिन जंगल बन जाएगा।
प्रकृति-नियति होगी संरक्षित,
और प्रदूषण भी मिट जाएगा।
थमेंगे भू-स्खलन,बाढ़ आपदा
भोला जन-जीवन बच जाएगा।

आओ, नित नई पौध लगाएँ हम
जग-जीवन सुरक्षित बनाएँ हम।


१२.

बलदाऊ गोस्वामी 
~वह शांति वह वृक्ष~
.......................
बीते दिन
कोयल की मधुुर तान
सुना था
जब शाख पर बैठकर
कूक रही थी
वह राग____
आज भी
गुंजायमान है,
जब भी मन में
सुलगती है
प्रतिहिंसा की अगन
गीत अनहद
बुझाती है
और फिर
गुँज उठती है
शांति की
स्वर-लहरियाँ।
वह राग सुने
बीत गये कई वर्ष मुझे
आज न वह शाख है
न वह राग
विलीन होते जा रही है
चलो,
एक कविता लिखें पर्यावरण शांति पर
और इस पर
कुछ सोचें |


१३.
आभा अग्रवाल 

'' ऊर्ध्वमूलो वाक्शाख ऐषोअश्वत्थ: सनातन ''
ज्ञान नचिकेता को जब ,
यम से जीवन का मिला था ,
विश्व है अश्वत्थ वृक्ष --
बस यही उसने कहा था ।
वृक्ष के मूल में ब्रह्म -
क्रमशः--
ब्रह्मा ,देव ,पितर,मनुज -
पशु-पक्षी प्रकृति ---
तने , शाख, फूल , पर्ण इसके !
ज्यूँ ब्रह्मतत्व में सम्पूर्ण सृष्टि
वृक्ष जगत का प्राण यूँ ही
वृक्ष हैं अमृत जगत के
मन-प्राण औ कल्याण सबके ।
मेरे अंगने का अलबेला -
वृक्ष आज मुझसे ये बोला ---
ये घनी छाँव मेरी -
ये अमलतास के झुमके
तारों से टिमटिम कुसुम नीम के
औ पीपल के पातों की हवा ये --
कट जायेंगे यदि वृक्ष यूँ ही ,
संतति के लिये इक सेल्फी ले ले --
आज मेरे साथ बिटिया --
चल तू इक सेल्फी लेले !
सृष्टि का हम ताप हरते
प्रकृति माँ के हम ही गहने
वृष्टि की भी चाह हम ही ,
बुलबुलों का ठौर हैं हम ।
गर्मी से त्रस्त -आतप मनुज को
छाँव शीतल भी हमीं है ।
कर आचमन जल इस धरा का ,
बादलों को हम ही देते ,
लग गले फिर बादलों के ,
नेह से धरती भिगोते ।
बांधते हम इस धरा को ,
पर्वतों को रेतियों को
बलवान सागर के तीरे
हम ही सैनिक बन खड़े है ।
तूफ़ान अर सुनामियों से -
आदम को हमने ही बचाया
उसने स्व विकास के हित
कुल्हाड़ा हमपे ही चलाया ।
हम हैं पादप !
प्राण वायु !
छाँव शीतल !
प्रेम-शांति औ अहिंसा
का संदेश लेकर उड़ चला जो -
उस शांति दूत खग का बसेरा ।
उत्सव का जब भी लो तुम संकल्प ,
रोप लो इक वृक्ष उस पल !
प्रकृति माँ हर्षाएगी अर -
संतति भी बच जायेगी ।
एक काटो हजार रोपो -
अब यही संकल्प होवे ,
वृक्ष ही से ये धरा है
वृक्ष ही है ब्रह्म जग में !
वृक्ष ही कान्हा की बंसी -
राधा-गोपियों का रास भी ये
साथ वन में सीता का दिया ,
पंचवटी ,चित्रकूट ,अशोक-वाटिका
भी वृक्षों से ।
वृक्ष ही से पूर्वज हमारे ,
संतति भी वृक्ष चाहे ,
वृक्षारोपण हो यज्ञ अपना ,
इस पीढ़ी का ये कर्म होवे ।

नील व्योम में उड़ रहा जो
सांध्य बेला में वो पक्षी
मेरे अंक में विश्राम लेगा !
मैं वृक्ष !
मैं जगत की भूख हरता ,
मैं जगत की प्यास हरता ,
मैं ही पलना हूँ तुम्हारा ,
औ अंत में मैं ज्वाल रथ हूँ ,
ओ !धरा के वासियों ,
कर आचमन तुम ये शपथ लो !
एक काटो-हजार रोपो ,
ये ही हो , संकल्प अब से ,
इस घड़ी से ,
इसी पल से ,
मैं उठूं इक वृक्ष रोपूं ,
एक खग को दूँ बसेरा
शांति का संदेश दूँ
वृष्टि को आमन्त्रण मेरा !
हो यही शुभ-संकल्प मेरा-
हो यही शुभ-संकल्प मेरा ॥आभा ॥


१४,
कुसुम शर्मा 
आओ ये संकल्प करे देश को हरियाली से ख़ुशहाल करे !!
----------------------
आओ हम सब मिलकर
ऐ ऐलान करे
अपने पूरे भारत को
हरियाली से ख़ुशहाल करे !

भारत माता को
प्रकृति के कोप से बचना है
पूरे भारत मे पौधों को लगाना है !

फिर न कही आकाल पडेगा
न कोई महामारी होगी
पूरे भारत मे बस ख़ुशहाली होगी !

तरस रहे जो बर्षा को
फिर न वो तरसेंगे
हरित जो होगा देश हमारा
फिर से पक्षी चहकेंगे !

पर्यावरण न दूषित होगा
हर पक्षी तब सुरक्षित होगा !
आओ अब ये संकल्प करे
देश के कौने कौन को वृक्षों से भरे !!
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सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

1 comment:

  1. ब्लॉग पढने में आनंद आया ,बधाई सभी कवियों को ; एडमिन को धन्यवाद ,ये सफर यूँ ही चलता रहे -हिंदी का आशीष मिले सभी को --

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शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिए !!!