Wednesday, February 3, 2021

तकब ०१ /२१




प्रिय स्नेही मित्रों

सप्रेम नमस्कार! आपके समक्ष उपस्थित हूँ २०२१ की पहली प्रतियोगिता के साथ।

इस बार से अन्य निर्णायकों के साथ हम पिछली बार के विजेता सदस्य को भी आमंत्रित करेंगे रचित रचनाओं मे से दो रचनाओं को चुनने के लिए। इस प्रतियोगिता में उनकी भूमिका के साथ उन्हे रचना केवल प्रोत्साहन हेतु लिखनी होगी और दोनों रचनाओं की समीक्षा भी मुझे संदेश रूप में निर्णय के साथ भेजनी होगी। इस बार निमंत्रण दे रहे है पिछली विजेता कुसुम शर्मा जी को।

बाकी प्रतियोगिता के नियम

आप सभी से आग्रह है कि नियमों का पालन अवश्य करें, जिसके लिए उन्हें पढ़ना भी जरूरी है।

तकब ०१ /२१

१. दिए गए चित्र / तस्वीर पर कम से कम १० पंक्तियां व अधिक से अधिक २० पंक्तियां किसी भी विधा में लिखिये और साथ ही उसका शीर्षक व अंत मे एक टिप्पणी अपने उदृत भावों पर अवश्य लिखिये।

२. चित्र पर रचना नई, मौलिक व अप्रकाशित होनी चाहिए।

३. प्रतियोगिता के वक्त लिखी हुई रचना/पंक्तियों पर पसंद के अलावा कोई टिप्पणी न हो। हां यदि किसी प्रकार का संशय हो तो पूछ सकते है। निवारण होते ही उन टिप्पणियों को हटा दिया जाएगा।

४. आप अपनी रचना किसी अन्य माध्यम में पोस्ट तभी कर सकते हैं जब प्रतियोगिता का परिणाम आ जाये और ब्लॉग में शामिल कर लिया गया हो।

५. प्रतियोगिता हेतु रचना भेजने की अंतिम तिथि २० जनवरी २०२१ है।

६. निर्णायक मंडल के सदस्य केवल प्रोत्साहन हेतु अपनी रचनाएं भेज सकते हैं। आग्रह है कि वे समय से पहले भेजे अन्यथा प्रोत्साहन का कोई औचित्य नहीं रह जाता।

धन्यवाद, शुभम !!!!

आपका अपना प्रतिबिम्ब


 इस बार की विजेता हैं सुश्री डॉ विजय लक्ष्मी भट्ट शर्मा 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

~आत्मनिर्भर भारत - एक आंदोलन~

(प्रोत्साहन हेतु)

आज़ादी के आंदोलन में भी स्वदेशी आंदोलन ही

महात्मा गांधी का एक सफल हथियार बना था

फलस्वरूप ब्रिटिश अर्थव्यवस्था कमजोर हुई थी

रोजगार व आर्थिक मजबूती भारत को मिली थी

अर्थव्यवस्था को कोरोना ने है नुकसान पहुंचाया

लेकिन मोदी जी की दूरदृष्टि और सफल नेतृत्व ने

आत्मनिर्भर भारत बनाने का अब संकल्प लिया

आत्मविश्वास भर लोगो में, मनोबल को बढ़ा दिया

सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगो का होगा कल्याण

गरीबों, श्रमिकों, किसानों का सुनिश्चित हुआ लाभ

मेरा भारत अब नहीं करेगा वैश्वीकरण का बहिष्कार

दुनियाँ का भी होगा हित, भारत बनेगा आत्मनिर्भर

चहुं ओर "वोकल फॉर लोकल" का नारा हैं गूंज उठा

योजनाओं व आर्थिक पैकेजो का केंद्र ने शुभारंभ किया

राज्यो को भी केंद्र ने इसके लिए खूब अनुदान दिया

'मेक इन इंडिया' ताकत बनेगा, भारत ने ठान लिया

बन आत्मनिर्भर एक दिन, दुनिया का नेतृत्व करेगा

रक्षा हो या विकास, आत्मनिर्भर भारत पहचान होगा

स्वदेशी शिक्षा व व्यवस्था, अब भारत का विचार होगा

मेरे भारत का उज्ज्वल भविष्य, कल की कहानी होगा

टिप्पणी: मोदी जी की अभी तक की योजनाओं और आवाहनों में जो दूर दृष्टि दिखाई है यह अवश्य ही भारत को बिगड़ती अर्थव्यवस्था से उबारेगा और देश की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी समाज के हर वर्ग को इसका लाभ होगा। दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलते हुये स्वदेशी को महत्व देते हुये भारत विकास की राह पर अग्रसर है और श्रेष्ठ भारत का हम सबका सपना पूरा होगा।


डॉ.विजय लक्ष्मी भट्ट शर्मा

~भारत भविष्य~

हे नौजवान

एकजुट हो

स्वदेशी की धुन ले

उठाओ तिरंगा

मेरा भारत अब

बढ़ रहा है

नये इतिहास

गढ़ रहा है

बढ़े हैं अब कदम

आत्मनिर्भरता की ओर

तुम पर ही

इसकी बागडोर

तुम्हारे कंधों पर

भारत भविष्य खड़ा

तुम चुप क्यूँ शान्त खड़े

तुमने कई कीर्तिमान गढ़े

उठा तिरंगा

दौड़ लगा भागो तुम

देखो देश प्रगति राह चला।

टिप्पणी: मेरी कविता स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक के रूप में नौजवानों को देखती है की यही तो हैं भारत के भविष्य, इसीलिये मेरा सम्बोधन देश के युवाओं के नाम है जिनके हाथ देश के भविष्य की डोर है।


 

अलका गुप्ता 'भारती'

~जागो हे भारत वासी~

जागो हे भारत वासी अब तो जागो!

व्यर्थ न जाएँ बलिदान शहीदों के !!

ज्वालायें ये धर्म वैमनस्य अब बुझा दो ।

मानव हो सर्व प्रथम मानवता अपना लो ।

अशफ़ाक बिस्मिल का भारत एक बना दो ॥

जागो हे ........

सच्चे भारत वासी तो अब्दुल कलाम जैसे होते हैं ।

बसते हैं दिलों में हरदम सबके...

इतिहास गौरवशाली रचते हैं ।

बहे रक्त में गौरवशाली वह आँच जगा दो ॥

जागो हे ........

अमीर-गरीब,ऊँच-नीच क़ा फर्क मिटा दो ।

हो योग्यता न्याय ..आरक्षण तो व्यर्थ ..हटा दो ।

खुली हवा में ले पाये साँसे अब भारत की बेटी ।

जीवन उसका दूभर न होने पाये अब तो...

व्यभिचार दुस्साहस का गला दबा दो ॥

जागो हे ...

सुख पाएं हर नर नारी कृषक श्रमिक की भाषा समझें ।

हो विकास व्यापार उद्योगों का कालाबाजारी भ्रष्टाचार मिटा दो ।

क्या रोना इतिहासों के कच्चे चिठ्ठे, मधुर बुनियादों पर ...

अब स्वर्णिम साख सजा दो ॥

जागो हे ........

अखण्ड भारत हो ..धर्म हो मानवता ही ।

जीना मरना हो वतन के वास्ते ईमान हमारा ही ।

जाती भेद खेल पुराने, ये हथकंडे अब भुला दो ।

इस देश के वासी हो तुम ..मशाल मानवता की जला लो ॥

जागो हे ........

कलंक भ्रष्टाचार प्रदूषण, भेद भाव शोषण दुराचार मिटा दो ।

हित सोचो सबका ..नव निर्माण विगुल बजा दो ।

स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत मिल अब सजा दो ।

गला दबा आतंकवाद का मस्तक पर विश्व के..तिरंगा प्यारा सा लहरा दो ॥

जागो हे ........

टिप्पणी: प्रस्तुत पंक्तियों में देश के विकाश में बाधक जो तथ्य महसूस हुए उनका विरोध करते हुए जागरूकता फैलाना ही मेरा उद्देश है ।

 

कुसुम शर्मा

~चलो मिल कर एक सपना सजायेंगे!!~

चलो मिल कर एक सपना सजायेंगे !

हम अपने देश को आत्मनिर्भर बनायेंगे!

ध्वजा भारत का विश्व मे फैलायेंगे

हम सब मिल का एक ही गीत गायेंगे !

ना रहेगा कोई भूखा ना कोई गरीब होगा !

ना हिन्दू ना सिख ना ईसाई ना मुस्लिम होगा !

होगा तो बस एक हिन्दुस्तानी का दिल होगा !

आओ मिल कर यही संदेश विश्व मे फैलायेंगे!

चलो मिल कर एक सपना सजायेंगे!!

विदेशी को छोड़ कर स्वदेशी अपनायेंगे !

बापू के चरखे को फिर से चलायेंगे !

सभी चीजों को अपने देश मे बनायेंगे !

अपने भारत को बुलन्दियो तक पहुँचाये

चलो मिल कर एक सपना सजायेंगे !

विषमताओं और असमानता को मिटा कर

गुरु विश्व का बनने को नया राजपथ बनाएंगे !

चलो मिल कर एक सपना सजायेंगे !!

टिप्पणी:- आओ हम सब मिल कर एक ऐसे भारत का सपना देखे जहां कोई भूखा न हो न कोई छोड़ा बडा हो न हिन्दु न मुस्लिम हो तो सिर्फ़ हिन्दुस्तानी हो ! हम सब मिल कर उसे आत्मनिर्भर बनाये ताकि हमें किसी पर निर्भर न रहना पड़े ये तभी हो सकता है जब हम एक हो कर कार्य करे ! ताकि हमारा देश विश्व मे विश्व गुरू के नाम से जाना जाये !!



 

Beena Bhatt Barshilia

~ऐसा देश है मेरा~

(विधा----मुक्तक )


चलो चलें वहां जहां हो प्रथम सवेरा

उभरते भारत में बनायें नया बसेरा

सफलता के शिखर पर होगा नेतृत्व

ऐसा उदीप्त संकल्पित वतन है मेरा।

जहां विश्व से विलग संस्कृति है

शस्त्र,शास्त्रों से भरी अलंकृति है

विलक्षण वीरों की है थाती यही

आविष्कारों की ये पूज्य धरती है।

आत्मविश्वास से आत्मनिर्भर तक

आत्मसम्मान से स्वरोजगार तक

तकनीक के चरम पर युवा पीढ़ी

देश की अर्थव्यवस्था सुधरने तक।

जहां वीर शहीद पूजे जाते हैं

जहां देशभक्ति गीत बजते हैं

इससे बड़ी कोई इब़ादत नहीं,

ये आन बान शान से जीते हैं।

चलो चलें वहां जहां हो प्रथम सवेरा,

ऐसा उदीप्त संकल्पित वतन है मेरा।।

 

टिप्पणी:

 

गोपेश दशोरा

~आत्मनिर्भरता की ओर~

सोने की चिड़िया था भारत,

व्यापारी आकर लूट गए,

आजादी से लेकर अब तक,

अपने ही देश को लूट गए।

सरकारे आई चली गई,

सबने बस अपना पेट भरा,

क्यूं फिकर करे वो जनता की,

वोटों की खातिर देश छला।

एक नया सवेरा अब आया,

एक नया जोश है बाहों में,

अपने पैरों पर खड़ा हुआ,

एक नवभारत है राहों में।

हुनर को बना व्यवसाय यहाँ,

अपने दम पर कुछ करना है,

कब मिले नौकरी रब जाने,

तब तक क्या बैठे रहना है।

जो सरकार भरोसे बैठोगे,

तो देश बढ़े कैसे आगे।

आत्मनिर्भर अब बनो युवा,

तो भाग्य देश के फिर जागे।

टिप्पणीः देश के आत्मनिर्भर बनने के लिए सबसे पहले देश युवा वर्ग को आत्म निर्भर बनाना होगा। अधिकांश युवा सरकारी नौकरी की चाह में बरसों तक बैठे रहते है। यदि सरकारी नौकरी की तैयारी के साथ-साथ वे अमने हुनर को भी निखारते रहे तो स्वयं के साथ देश का भी विकास होगा।


 

ब्रह्माणी वीणा हिन्दी साहित्यकार

~आत्म निर्भरता की चाह~

(कुंडलियाँ छंद में)

"स्वदेश व आंदोलन "

१)

*********************************

अपना पावन देश है,,,,,,,,,,भारतवर्ष महान !

राष्टृ प्रतीक ध्वज तिरंगा,देश की आन -बान

देश की आन बान,,,विश्व विजयी कहलाता !

चार -धर्म रक्षार्थ,,,,,,,सदा सदभाव सिखाता !

मोदी का अरमान,,,,,,,आत्मनिर्भर का सपना !

बना रहे स्वभिमान,,,,,,,देश हो पावन अपना !!

***************

आंदोलन करतें कृषक,राजनीति की चाल !

आतंकी साजिश करै,देश हुआ बेहाल !

देश हुआ बेहाल,,तनिक तो समझो भाई !

करें घोर उत्पात,न चाहें कृषक-भलाई !

बदलो गंदी नीति,छोड सत्ता प्रालोभन!

हठधर्मी को छोड़,रोक लो अब आंदोलन!!

टिप्पणी: आजकल कृषक आंदोलन चल रहा है देश विरोधी विपक्ष पार्टी आतंकवाद की समस्या पैदा कर रहा है प्रधानमंत्री मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं इसी भाव को कुंडलियां के माध्यम से व्यक्त किया है,,,जय हिंद


प्रभा मित्तल

~आत्म निर्भरता की ओर बढ़ते कदम ~

 

आत्म निर्भरता की ओर बढ़ते कदम

एक साथ एक जुट हो चलेंगे हम

विश्व में सबसे आगे निकलना है ...

इसलिए आत्मनिर्भर बनेंगे हम।

आत्मबल का प्रथम पड़ाव चम्पारण,

जहाँ जन-जन ने सीखे अनेकों काम।

गाँधी का चरखा और नमक आंदोलन

आज़ादी की राह के बने सशक्त पैगाम।

बापू का सपना था 'हिंद स्वराज' -

दब गया था समय की चालों में,

एक सदी के बाद अब सच होगा

समाज और सरकार की आँखों में।

आज वही समय फिर आया है

आज़ाद भारत में फैली इस

महामारी ने भी सिखलाया है

अपनी ज़रूरतें स्वयं पूरी करें

क्यों विदेशों के हम मोहताज रहें।

कृषक और श्रम-शक्ति मज़बूत बने,

जो राज्य और अर्थ तंत्र की नींव हैं।

उन्हें वे सुविधा-साधन-संसाधन मिलें

जिससे आत्मनिर्भरता पर विश्वास बने।

उद्योगपति निजता से हटकर,धन

स्वदेश में लगाएँ,व्यवसाय बढा़एँ।

'मेक इन इंडिया' से रोज़गार बढ़ाकर,

'मेड इन इंडिया' से देश को सुदृढ़ बनाएँ।

संक्रमण काल में समर्थ भारत ने

भौतिक संसाधन भी तैयार किए।

बस अब न हो 'मेड इन चायना' कुछ भी...।

हम अपना हाथ जगन्नाथ कर दिखलाएँ।

और इसे 'मेक फॉर वर्ल्ड' की ओर ले जाएँ।

विश्व में देश का परचम लहराना है।

इसे सशक्त और सुदृढ़ बनाना है।

हमें मिल-जुलकर आगे बढ़ना होगा।

अब भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा।

टिप्पणी: इस संक्रमण काल में जिस निष्ठा और सब्र के साथ सबने ये कठिन समय पार किया और सब एक जुट होकर रहे,सभी को अपनी शक्ति और सामर्थ्य पहचानने का अवसर मिला।ये आत्मनिर्भर बनने की पहल है।इसमें एक छोटी इकाई से लेकर बड़े से बड़े पूँजीपति को प्रयास करना होगा...सबको सबका हक मिले...रोजगार बढ़ें... ताकि देश सुदृढ़ बने..अर्थ-व्यवस्था सुधरे।


 

आभा अग्रवाल

~आत्मनिर्भरता~

आओ भारत को आत्मनिर्भर बनाएं ,

समाज के निम्नतम तबके में

उसका खोया अभिमान जगाएं

मोदी जी की योजनाओं से

हर गाँव -व्यक्ति को अवगत करवायें

जन- जन में राष्ट्र अभिमान जागे

स्वच्छता का अभियान चले ,

हर व्यक्ति के पास काम हो ,

हर बच्चे के पेट में हो रोटी -

युवकों में स्वाभिमान जगे

सब्सिडी ,आरक्षण वो त्यागें

कुटीर उद्योग ,संस्कार हैं अपने

मोदी जी की रीत -नीत से

निज उत्पाद को विश्व बाजार लेजाएं

माँ भारती के रथ के सारथी हम

माँ का खोया स्वाभिमान जगाएं।।

टिप्पणी: आत्मनिर्भरता भारत के संस्कारों में है ,जिसे मोदी जी ने जगाने का पर्यटन किया है


किरण श्रीवास्तव

~मेरा भारत महान~

 

वीरों की धरती अमर रहे

और जारी अपना सफर रहे.

बढ़ने की ख्वाहिश लिए हुए

संकल्प हमारा प्रबल रहे,

एक बने हम नेक बने हम

ताकत का संदेश बने हम,

जाति धर्म का भेद-भाव

जेहन में अपने ना रहे,

स्वदेशी लायें ,स्वदेशी अपनायें

आत्मनिर्भर भारत को बनायें,

सुदृढ़ भारत बन जाऐ

ऐसा ही कुछ कृत्य करें,

प्रहरी है भारत माता के

आंच नहीं आने देंगे

आन बान और शान की खातिर

हाजिर अपनी जान रहे....!!!!!

टिप्पणी: भारत एक विकास शील देश है, उसमें संसाधनों की कोई कमी नहीं है ,बस जरूरत है जागरूकता और बौद्धिकता के विस्तारण की..देश को आत्मनिर्भर बनाने में.उसके प्रचार प्रसार में हमारे प्रधानमंत्री जी ने कोई कमी नहीं छोड़ी है 



सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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