रचनाएं
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
(प्रोत्साहन हेतु)
है तिरंगा इसका स्वाभिमान, आधार इसका संस्कृति ओर संस्कार
उनके शौर्य गाथाओं ओर बलिदानों का, सदैव करते रहे हम स्मरण
भारत का बच्चा - बच्चा है ऋणी, याद रखेगा तुम्हारा बलिदान
आज़ादी के मतवालों को कर के याद, मना रहा अमृत महोत्सव
अमृतमहोत्सव मनाओ प्रतिबिम्ब, बनी रहे भारत की आन बान शान
टिप्पणी: भारत ७५ वर्ष आज़ादी के मना रहा है बस अपने भावों से
यही सन्देश देना चाहता हूँ कि आज़ादी में आज़ादी के मतवालों की भूमिका अहम् है –
उसे सदैव याद रखा जाना चाहिए
आभा अजय अग्रवाल
(प्रोत्साहन हेतु)
हो लिये सब साथ अपने ,
हैं कई रंगीन सपने ,
मेरे सपने -तेरे सपने ,
मेरी भारत मां के सपने -
इन्द्रधनुषी रंगों वाले ,
सपनों संग युवशक्ति खड़ी है ,
स्टार्टप यूनिकार्न लेके
उप्ल्ब्धियाँ संग चल रही हैं ,
उत्सवों का देश भारत
विभिन्नता में एकता है
उत्तर दखिन पूर्व पच्छिम
सब जगह रंगीनियाँ हैं ,
अमृत महोत्सव उत्साह लाये
उल्लास अर उमंग जगाए
मां भारती फिर खिलखिलाये
हाँ ! जनता जनार्दन हो ही जाये …
टिप्पणी: रंगीन पेंसिलों को देख मन में आये भाव … प्रोत्साहन
केवल इतना कि आओ लिखो ॥
अलका गुप्ता 'भारती'
हौसलों के वह रंग ले लो।
हो समर्पित स्वराष्ट्र को जो,
बढ़ने की अग्र प्रेरणा ले लो।
आजाद तिरंगे का मिल हमें,
अमृत महोत्सव मनाना है।
तंत्र मंत्र नव,राष्ट्र प्राणों में...
फूँक नयी ऊर्जा जगाना है।
जागो हे वतन के लोगों तुम
कुंठित हुइ हैं धार जो ...
उसको तो अब लगाना है ।
विश्वगुरु पुनः देश बनाना है।
जागो हे वतन के लोगों तुम,
देश में अग्रचेतना लाना है।
भूल भेदभाव जात पाँति..
आडंबर सब मिटाना है ।
नव जागरण की पुनःअब...
संस्कार ज्योति जगाना है।
शत्रु षड्यंत्र कर काफूर सभी,
आओ मिल नेस्तनाबूद करें।
हस्ती मिल,आओ मजबूत करें।
खिलें रंग हर..भरपूर करें ॥
कुसुम शर्मा
भारतवर्ष के तिरंगे को विश्व में फहराते है !
वीरों और शहीदों पर श्रद्धा के पुष्प चढ़ाते है!
भारत माँ के इन वीरों की गाथा सब को याद दिलाते है !
आओ मिल कर आज़ादी की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाते है !
भेद भाव और जाति पाति के आडम्बर सब मिटाते है !
इन्द्रधनुषी रंगो से भारत माँ को सजाते है !
भारत के जन जन में देश भक्ति को जगाते है !
आओ मिल कर आज़ादी की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाते है !
भारत माँ के चरणों में सदा शीश झुकाते है !
आओ मिल कर गौरव गान के साथ अमृत महोत्सव मनाते है !!
आओ मिल कर आज़ादी की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाते है !!
बीना भट्ट बड़शिलिया
(विधा --घनाक्षरी छंद)
ओज देखो जगा रहे
जनमन मिलकर
गर्व से मना रहे।
शूरवीरों की धरती
जागृति धारण करें
गणतंत्र ये रहे।
भारत का मान बढ़े
शहीदों का सदा यहां
श्रेष्ठ सम्मान रहे।
हिंद पहचान बने
राष्ट्रहित सर्वोपरि
जन को याद रहे।
निर्वात सा शास्त्र तेज
शमशीरों की टंकार
अस्त्रों की धार रहे।।
किरण श्रीवास्तव
तुम को बारंबार प्रणाम
बलिदानों को याद करें
चतुर्दिशाओं में आवाम... !
तेरे संघर्षों को सुनकर .
श्रद्धा पुष्प बरसाते हैं
बारंबार तेरे चरणों पर .... !!
गीत खुशी के गाती है .
तिरंगे की शान तुम्ही हो
भारत मां की जान तुम्ही हो.... !!!
विचारों का .आत्मनिर्भरता का .
मन में जिससे उत्साह जगे.
कुछ करने की आस जगे ...... !!!!
जिसने राह बनाया है .
अंधकार से उजियारे की
ओर हमें बढ़ाया है..... !!!!!
कुछ तो कदम बढ़ाए अब
आजादी का जश्न मनाए
हम कुछ कर दिखलाएं अब... !!!!!!
(विधा- गीत)
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
खुशहाली विश्वास प्रगति नित, हरित रंग दर्शाता।।
नीलचक्र सिखलाए जीवन, में नित बढ़ते जाना।
सफर जिन्दगी का कोई हो, नव पथ गढ़ते जाना।।
प्रेम त्याग बलिदान सुसज्जित, रंग केसरी प्यारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
रंगीले फल- फूलों से लद, भू लगती मतवाली।।
प्रेम रंग में रँगे हुए हैं, सब त्यौहार निराले।
होली क्रिसमस ईद लोहड़ी, हुए सभी मतवाले।।
प्रेम रंग से ही रिश्तों में, बढ़ता भाईचारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
मन को भाए रजत वर्ण का, हिमगिरि मुकुट सलोना।।
हरित रंग का हिन्द सिन्धु नित, चरणों में लहराता।
तीन वर्ण का झण्डा प्यारा, जग में शान बढ़ाता।।
इसीलिए तो केतु तिरंगा, हमें प्राण से प्यारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
मन में गर्वित है "अंशी" इन, सब रंगों को पाकर।
कुछ ईश भक्ति कुछ मात-पिता की, भक्ति रंग में डूबे।
मित्र रंग कुछ महबूबा की, प्रीति रंग में डूबे।।
देशभक्ति का रंग रँगीला, सब रंगों से न्यारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
लक्ष्मी लेखावर नौडियाल
देश भक्ति के रंगों से सज रहा माँ भारती का भाल है,
बिखर रहे हैं चारों ओर रंग देशभक्ति के हर राज्य में,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।
करे स्मरण भारतीय वीरों की बलिदानी गाथाओं को,
रचाकर फिर नित नव कथा बीता जा रहा ये काल है,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।
भिन्न हैं बोली भाषा पहनावा सबका भारत में फिर भी,
हमारी एकता का इन्द्रधनुष विश्व नभ पर बेमिसाल है,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।
शिव मोहन
आजादी के अमृत महोत्सव में, देश मना रहा होली।
केसरिया साफा पहने है, ये मतवालों की टोली।
भिन्न भिन्न रंग में हो जायें , आज सभी हम जोली। ।
कीमत इसकी पहचानो , है अपनी नहीं पराई।
लाखों लोगों की कुर्बानी , याद करो अब भाई।
एक भी आँसू गिरा नहीं , वो भगत सिंह की माई।।
हर रंग से बना है इंद्रधनुष , भारत ललाट पे वारी।
आ जाओ फिर एक बार जुटे , अब लेके वही खुमारी।
भारत की वही मशाल लिए , हर हाथ में भारतवासी। ।
मीता चक्रवर्ती
है देश का ये स्वर्णिम उत्सव
यूं ही नहीं हुआ ये पल्लवित
सींचा गया है शहीदों के लहू से
उपवन उजड़े, फूल मुर्झाए
कई घरों के कुल दीपक बूझे
माताओं के आंसू रो रो के सूखे
सुहागिनों का सुहाग उजड़ा
बहनों से उनका भाई बिछड़ा
स्वाधीन भारत में फिर तिरंगा लहराया।
रिद्धि भट
कौन रंग में साड़ी रंग दूं बेटी मां से बोली।
केसरिया तू चूनर रंग दे, शुभ्र वर्ण की चोली,
भारत मां की धानी साड़ी पहन ले तू भी भोली।
कौन रंग में रंगे रहेंगे इनके नेक अनेक इरादे।
कुछ तो बेटी काले मन के कुछ के सफेद वादे,
नीले पीले लाल गुलाबी कुछ बस खादी लादे।
हर चेहरा मायावी लगता हर नेता अब शातिर।
हमें स्वयं ही खिलानी होगी रंग बिरंगी क्यारी,
ऐसा माली चुनना होगा जो हो रंगों का माहिर।
हर रूप रंग में छिपा हुआ है नटवर लाल कन्हैया।
सौगंध राम की खा करके कुर्सी को सब ध्याते,
रामराज की बात करो तो करते ता ता थैया।
परिणाम
एवं समीक्षा
(प्रभा मित्तल)
तकब 2/22
नमस्कार प्रिय मित्रगण,
हम सब जानते हैं कि भारत की स्वतंत्रता
के 75वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हमारे
देश में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया
जा रहा है।आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ से 75 सप्ताह
पहले शुरू हुआ यह महोत्सव 15 अगस्त, 2023 को
पूर्ण होगा।इस बार तकब 2/22 के चित्र के लिए भी यही विषय चुना गया
था।आप सभी का प्रस्तुति - प्रयास सराहनीय रहा।सभी ने अमृत महोत्सव पर दिल खोलकर
लिखा।हाँ कुछ में कहीं कहीं पँक्तियों में ताल-मेल का अभाव और लिंग-भेद के साथ कुछ
वैयाकरणिक दोष दिखे,जो शब्दों की गरिमा को हास्यास्पद बना
देते हैं।भाषा के साथ-साथ वर्तनी पर भी ध्यान देना आवश्यक है।फिर भी अमृत महोत्सव
की कविताओं को एक-दूसरे से कमतर आँकना न्यायसंगत न होगा।यह महोत्सव आप सभी के लिए
महत्व रखता है, अतः आप सभी प्रतिभागी रचनाकार बधाई व
सम्मान के हकदार हैं।यहाँ हमें कुल ग्यारह रचनाएँ मिली हैं,जिनमें
दो रचनाएँ निर्णायक मण्डल से हैं। इस समूह के नियमानुसार मिली शेष नौ रचनाओं में
से चुनी गई सर्वोत्तम रचना को निर्णायक मंडल की ओर से मिले वोट इस प्रकार
हैं..........
प्रथम स्थान के लिए प्राप्त वोट......
1.किरण श्रीवास्तव----3
2.अंशी कमल-----1
---------------------
द्वितीय स्थान के लिए प्राप्त
वोट......
1.शिव मोहन-----2
2.लक्ष्मी नौडियाल ----1
3.रिद्धि भट्ट------1
------------------
वोटों की संख्या के आधार पर सुश्री
किरण श्रीवास्तव अपनी उत्कृष्ट रचना "अमृत महोत्सव" के साथ प्रथम स्थान
पर विजयी रहीं।मेरे व निर्णायक मण्डल की ओर से किरण श्रीवास्तव जी को बहुत बहुत
बधाई व हार्दिक शुभकामनाएँ।
तकब 2/22 में
प्रतियोगिता के लिए आई सभी रचनाओं की समीक्षा
'सुश्री मीनाक्षी कपूर 'मीनू' ने की है।मैं इस सुन्दर समीक्षा के लिए मीनाक्षी जी का सहर्ष अभिनन्दन कर
उनके प्रति हृदय से आभार प्रकट करती हूँ।तो लीजिए ....अब आपके समक्ष आप सभी की
रचनाओं की समीक्षा लेकर उपस्थित हैं..... समीक्षक ....मीनाक्षी कपूर 'मीनू'........!
इस सृजनमंच के जन्मदाता श्री
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी और आप सभी प्रबुद्धजनों को मेरा नमन
मैं इस योग्य नहीं कि आप सभी उच्चकोटि
के साहित्यकारों की रचनाओं की समीक्षा कर सकूं , फिर भी
कोशिश कर रही हूं क्योंकि जिन्होंने ये कार्यभार सौंपा है उनको इनकार करके मैं
उनके मान का अपमान नहीं कर सकती ।तबियत खराब होने की वजह से देरी के लिए
क्षमाप्रार्थी हूँ ।
*भारत की
आजादी का अमृत महोत्सव* बहुत ही गहन विषय है , जिससे
हम सब आत्मिक रूप से जुड़े है, दासता की जंजीरों की जकड़न से मुक्त
हमारी भारत माँ आज उन्मुक्तता के शृंगार से सजी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है
... एक सुखद अहसास.... परन्तु कहीं न कहीं एक टीस है जो भीतर ही भीतर खाये जा रही
है हमारे ही वजूद को , हमारे ही द्वारा । आज़ादी के 75 वर्ष के
बाद भी जातिभेदभाव व अन्य धार्मिक मसले व कुछ आंतरिक विवाद के काले धब्बे हमारी
आज़ादी की इंद्रधनुषी चादर को मलिन कर रहे है । आज आवश्यक है कि हम अपने वीर सपूतों
को याद करें उन आजादी के मतवालों को याद करें और भारत माँ की छवि को आपसी प्रेमभाव
से निखारने की कोशिश करें। हमारा भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और जिस प्रकार सभी
रंग इस बात के धोतक है कि एक ही रंग से किसी चित्र की सजीवता नही उकेरी जा सकती
उसी तरह भारत के हृदय की विशालता किसी एक जातिधर्म के रंग से नही आंकी जा सकती ।
आप सभी की रचनाओँ ने इस तस्वीर में निहित भाव को बखूबी समझ कर आत्मसात कर अपने
भावों को यहां साझा किया है । लेकिन कुछेक रचनाएँ तस्वीर के साथ उतना मेल न कर पाई
, जितना
होना चाहिए था ,ऐसा मुझे अहसास हुआ । आप सबका स्वागत व
अभिनदंन करते हुए अब समीक्षा कार्य प्रारंभ करती हूं।
सर्वप्रथम *आदरणीया किरण श्रीवास्तव
जी* ... किरण जी की रचना की शुरुआती इन पंक्तियों ने मानो भावविभोर सा कर दिया...
तुम को बारंबार प्रणाम
बलिदानों को याद करें
चतुर्दिशाओं में आवाम
किरण जी
की रचना ने उन सभी वीरों को जिनके बलिदान.त्याग.संघर्ष .सूझबूझ.और मुश्किलों से
हमें आजादी मिली है.उनको हमें दिल से नमन करते हुए.अमृत महोत्सव को मनाने का संदेश
दिया है, चाहा है कि चारों दिशाओं से एक ही आवाज़
आये.. खुद में बदलाव की ..स्व संकल्प की , अपनी
रचना के माध्यम से हमारे अंतर्मन को जागृत करने की कोशिश की है कि आवांम
(भारतवासी) उन संकल्पों पर अटल रहे.यही उन आज़ादी के सपूतों के प्रति हमारी सच्ची
श्रद्धांजलि होगी।
*सर्वप्रथम*
साहित्य को समर्पित व हम सबको हमेशा सृजन के लिए प्रोत्साहित करने वाले वंदनीय
प्रतिबिंब जी की रचना *बनी रहे भारत की आन बान शान* ने आज़ादी के मतवालों के सन्देश
के साथ सबको लिखने के लिए प्रोत्साहित किया । प्रति जी की रचना आज़ाद भारत के
स्वर्णिम 75 वर्ष को मन से एकाकार करने हेतु
प्रेरित करती है, हमारे मन मे छुपे देशप्रेम के बीज पर
निष्क्रिय पड़ी मिट्टी को हमारी पुरातन संस्कृति व आज़ादी के वीरों के रक्त भाव से
सिंचित कर दबे पड़े बीज को वृक्ष बनाने के भाव को उजागर करती है ताकि आने वाला कल व
भारत सही मायने में भारत देश बन सके, ऐसा देश
जिसमें सभी धर्म के रंगों से रंगा भ्रातृभाव में डूबा हर भारतीय हो ।*आज़ादी में
आज़ादी के मतवालों की भूमिका अहम् है – उसे
सदैव याद रखा जाना चाहिए* । बहुत अच्छा सन्देश प्रति जी
*आदरणीय
अजय अग्रवाल आभा जी* ... प्रोत्साहन रूप में हमारी प्यारी आभा दी ने इंद्रधनुषी
रंगों से मानो सबके सपनो को रंग दिया ,सच ही
तो है कि मां भारती (भारत माता) में ही तो सबकुछ निहित है आज का युवा हो या बीता
समय सब के रंगों से ही तो सजेगा ये अमृत महोत्सव .... दी गयी तस्वीर को सजीव भाव
के साथ उजागर किया है । नमन
*आदरणीया
अलका गुप्ता 'भारती' जी* अब
आती है हमारी अलका दी .. जिन्होंने अपनी रचना के द्वारा नवजागरण का आह्वाहन किया
है । सच कहा अलका जी ने .
उसको तो अब लगाना है ।
विश्वगुरु पुनः देश बनाना है।..
*आदरणीया
बीना भट्ट बड़शिलिया जी* ... बीना जी ने घनाक्षरी छंद में 【8..8.. पर यति
और 32 वर्णों से सुसज्जित छंद】 ... बहुत ही
सौंदर्यपूर्ण ढंग से अपने भाव व्यक्त किये है ...देश की संस्कृति को संवारने और
समृद्ध करने के लिए शास्त्रों के साथ साथ अस्त्र-शस्त्र को भी देशहित में सहेजा
जाये.....सही कहा आपने ... अमृत महोत्सव सब के मन मे सांस्कृतिक प्रकाश की ज्वाला
जगा कर हमारे भूखंड को हमेशा अखंड रखे , इसी से
भारत देश का मान बढ़ेगा । बहुत खूब बीना जी
रह रहे सदा संग-संग यह विभिन्न रंग हैं भारत के अंग,
भिन्न हैं बोली भाषा पहनावा सबका भारत में फिर भी,
हमारी एकता का इन्द्रधनुष विश्व नभ पर बेमिसाल है,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।
*आदरणीय
शिव मोहन जी* ..आजादी के अमृत महोत्सव की होली ......होली के रंगों सा खुशी भरा
मिलाप अनुभव हुआ आपकी रचना से ..भारत विभिन्न रंगों से बना है और आजादी के अमृत
महोत्सव में हर रंग का महत्त्व है। भारत के लोगों को इस आजादी की कीमत याद रखनी है
जो बहुत कीमती है।आजादी किसी एक रंग ,एक समूह
द्वारा नहीं मिली है ये सामूहिक है और भारत को एक बार पुनः संगठित होना है और इस
आजादी को अक्षुण्ण रखना है इसी वृत के साथ हमें आजादी के अमृत महोत्सव की आने वाली
होली मनानी है ।शिव मोहन जी ने रंगों की असली महता के द्वारा भावों की खुशनुमा
होली खेलने के लिए प्रेरित किया है और होली का असली आनंद तब तक नही आता जब तक ये
सामूहिक न हो , आज़ादी के रंग से होली का तिलक कर सबको
एक बार पुनः संगठित करने के भाव । साधुवाद शिव मोहन जी
*आदरणीया
मीता चक्रवर्ती जी*
उपवन उजड़े, फूल मुर्झाए
कई घरों के कुल दीपक बूझे
माताओं के आंसू रो रो के सूखे
सुहागिनों का सुहाग उजड़ा
बहनों से उनका भाई बिछड़ा
*आदरणीया
रिद्धि भट्ट* ....कौन रंग -----
रामराज की बात करो तो करते ता ता थैया।
समीक्षिका
.. *मीनाक्षी कपूर मीनू (मनस्वी)*}}
सस्नेह शुभकामनाएँ !
प्रभा मित्तल.