Saturday, February 12, 2022

तकब ०२ / २२ - रचनाएँ, परिणाम व समीक्षा

 

#तकब ०२ / २२
प्रतियोगिता के नियम
आप सभी से आग्रह है कि नियमों का पालन अवश्य करें, जिसके लिए उन्हें पढ़ना भी जरूरी है।
१. प्रस्तुत चित्र पर आप अपनी रचना कम से कम १० पंक्तियां ( अधिकतम २० पंक्तियाँ) किसी भी विधा में लिखिये और साथ ही उसका शीर्षक व अंत मे एक टिप्पणी अपने उदृत भावों पर अवश्य लिखिये।
२. चित्र पर आपकी रचना नई, मौलिक व अप्रकाशित होनी चाहिए।
३. प्रतियोगिता के वक्त लिखी हुई रचना/पंक्तियों पर पसंद के अलावा कोई टिप्पणी न हो। हां यदि किसी प्रकार का संशय हो तो पूछ सकते है। निवारण होते ही उन टिप्पणियों को हटा दिया जाएगा।
४. आप अपनी रचना किसी अन्य माध्यम में पोस्ट तभी कर सकते हैं जब प्रतियोगिता का परिणाम आ जाये और ब्लॉग में शामिल कर लिया गया हो।
५. प्रतियोगिता हेतु रचना भेजने की अंतिम तिथि अब ३० जनवरी २०२२ है। इस प्रतियोगिता की समीक्षा करेंगी
**सुश्री मीनाक्षी कपूर मीनू जी **
६. निर्णायक मंडल के सदस्य अपनी रचनाएं भेज सकते हैं (यदि वे केवल प्रोत्साहन हेतु लिख रहे हैं तो पहले से इंगित कर दें). निवेदन यह है कि वे समय से पहले भेजें अन्यथा प्रोत्साहन का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
धन्यवाद, शुभम !!!!
आपका अपना प्रतिबिम्ब


इस प्रतियोगिता की विजेता हैं  सुश्री किरण श्रीवास्तव

 

 

रचनाएं

 

अमृत महोत्सव
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
(प्रोत्साहन हेतु)

 

रंग - रंग के रंग यहाँ, करते हैं जो मेरी भारत माँ का शृंगार
है तिरंगा इसका स्वाभिमान, आधार इसका संस्कृति ओर संस्कार
 
वीरों ओर शहीदों को कर याद, आओ करे हम उन्हें पुष्प अर्पण
उनके शौर्य गाथाओं ओर बलिदानों का, सदैव करते रहे हम स्मरण
 
दिखा गए त्याग - बलिदान की राह, तिरंगे की बढ़ा गए शान
भारत का बच्चा - बच्चा है ऋणी, याद रखेगा तुम्हारा बलिदान
 
गौरव - गान गाता है हर भारतीय, मना रहा अमृत महोत्सव
आज़ादी के मतवालों को कर के याद, मना रहा अमृत महोत्सव
 
देशभक्ति के नारों ओर गीतों से, गूंजता सदा ये नीला आसमान
अमृतमहोत्सव मनाओ प्रतिबिम्ब, बनी रहे भारत की आन बान शान

 

टिप्पणी: भारत ७५ वर्ष आज़ादी के मना रहा है बस अपने भावों से यही सन्देश देना चाहता हूँ कि आज़ादी में आज़ादी के मतवालों की भूमिका अहम् है उसे सदैव याद रखा जाना चाहिए

 

अमृत महोत्सव
आभा अजय अग्रवाल
(प्रोत्साहन हेतु)

 

स्वातंत्र्य का अमृत महोत्सव ,
हो लिये सब साथ अपने ,
हैं कई रंगीन सपने ,
मेरे सपने -तेरे सपने ,
मेरी भारत मां के सपने -
इन्द्रधनुषी रंगों वाले ,
सपनों संग युवशक्ति खड़ी है ,
स्टार्टप यूनिकार्न लेके
उप्ल्ब्धियाँ संग चल रही हैं ,
उत्सवों का देश भारत
विभिन्नता में एकता है
उत्तर दखिन पूर्व पच्छिम
सब जगह रंगीनियाँ हैं ,
अमृत महोत्सव उत्साह लाये
उल्लास अर उमंग जगाए
मां भारती फिर खिलखिलाये
हाँ ! जनता जनार्दन हो ही जाये

टिप्पणी: रंगीन पेंसिलों को देख मन में आये भाव प्रोत्साहन केवल इतना कि आओ लिखो ॥

 

अमृत महोत्सव
अलका गुप्ता 'भारती'
 
जीवन में हो उत्साह सदा जो।
हौसलों के वह रंग ले लो।
हो समर्पित स्वराष्ट्र को जो,
बढ़ने की अग्र प्रेरणा ले लो।
आजाद तिरंगे का मिल हमें,
अमृत महोत्सव मनाना है।
तंत्र मंत्र नव,राष्ट्र प्राणों में...
फूँक नयी ऊर्जा जगाना है।
जागो हे वतन के लोगों तुम
कुंठित हुइ हैं धार जो ...
उसको तो अब लगाना है ।
विश्वगुरु पुनः देश बनाना है।
जागो हे वतन के लोगों तुम,
देश में अग्रचेतना लाना है।
भूल भेदभाव जात पाँति..
आडंबर सब मिटाना है ।
नव जागरण की पुनःअब...
संस्कार ज्योति जगाना है।
शत्रु षड्यंत्र कर काफूर सभी,
आओ मिल नेस्तनाबूद करें।
हस्ती मिल,आओ मजबूत करें।
खिलें रंग हर..भरपूर करें ॥
 
टिप्पणी: देश में नव जागरण लाना है।

 

 

आओ मिल कर आज़ादी की 75वीं वर्ष गाँठ मनाते है
कुसुम शर्मा
 
आओ मिल कर आज़ादी की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाते है !
भारतवर्ष के तिरंगे को विश्व में फहराते है !
वीरों और शहीदों पर श्रद्धा के पुष्प चढ़ाते है!
भारत माँ के इन वीरों की गाथा सब को याद दिलाते है !
आओ मिल कर आज़ादी की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाते है !
भेद भाव और जाति पाति के आडम्बर सब मिटाते है !
इन्द्रधनुषी रंगो से भारत माँ को सजाते है !
भारत के जन जन में देश भक्ति को जगाते है !
आओ मिल कर आज़ादी की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाते है !
भारत माँ के चरणों में सदा शीश झुकाते है !
आओ मिल कर गौरव गान के साथ अमृत महोत्सव मनाते है !!
आओ मिल कर आज़ादी की 75 वीं वर्ष गाँठ मनाते है !!
 
टिप्पणी: भारत को आज़ाद हुए 75 वर्ष हो जाएँगे तो आओ सभी मिल जुल कर इसे अमृत महोत्सव के रूप में मनाते है !
 

 

अमृत महोत्सव
बीना भट्ट बड़शिलिया
(विधा --घनाक्षरी छंद)
 
महोत्सव अमृत ये
ओज देखो जगा रहे
जनमन मिलकर
गर्व से मना रहे।
 
संस्कृति भारत की ये
शूरवीरों की धरती
जागृति धारण करें
गणतंत्र ये रहे।
 
भूखंड अखंड रहे
भारत का मान बढ़े
शहीदों का सदा यहां
श्रेष्ठ सम्मान रहे।
 
विश्व में लोकतंत्र का
हिंद पहचान बने
राष्ट्रहित सर्वोपरि
जन को याद रहे।
 
वीरों की थाती का देश
निर्वात सा शास्त्र तेज
शमशीरों की टंकार
अस्त्रों की धार रहे।।
 
टिप्पणी:देश की संस्कृति को संवारने और समृद्ध करने के लिए शास्त्रों के साथ साथ अस्त्र-शस्त्र को भी देशहित में सहेजा जाये.. जय हिंद

 

"अमृत महोत्सव"
किरण श्रीवास्तव
 
 
आजादी के वीर सपूतों
तुम को बारंबार प्रणाम
बलिदानों को याद करें
चतुर्दिशाओं में आवाम... !
 
रोम रोम सिहर उठे
तेरे संघर्षों को सुनकर .
श्रद्धा पुष्प बरसाते हैं
बारंबार तेरे चरणों पर .... !!
 
भारत मां भी हर्षाती है
गीत खुशी के गाती है .
तिरंगे की शान तुम्ही हो
भारत मां की जान तुम्ही हो.... !!!
 
यह महोत्सव है संकल्पों का .
विचारों का .आत्मनिर्भरता का .
मन में जिससे उत्साह जगे.
कुछ करने की आस जगे ...... !!!!
 
दुर्गम राहों पर चलकर
जिसने राह बनाया है .
अंधकार से उजियारे की
ओर हमें बढ़ाया है..... !!!!!
 
हम भी उनके पद चिन्हों पर
कुछ तो कदम बढ़ाए अब
आजादी का जश्न मनाए
हम कुछ कर दिखलाएं अब... !!!!!!
 
टिप्पणी: उन सभी वीरों को जिनके बलिदान.त्याग.संघर्ष . सूझबूझ.और मुश्किलों से हमें आजादी मिली है.उनको हम दिल से नमन करते हुए.अमृत महोत्सव को मनाए ...और कुछ खुद से संकल्प करें....उन संकल्पों पर अटल रहे. यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी....|

 

 

आजादी_का_अमृतोत्सव
अंशी कमल
(विधा- गीत)
 
तीन रंग से सजा हुआ है, केतु तिरंगा प्यारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
 
श्वेत रंग दे प्रेम सँदेशा, सबको शान्ति सिखाता।
खुशहाली विश्वास प्रगति नित, हरित रंग दर्शाता।।
नीलचक्र सिखलाए जीवन, में नित बढ़ते जाना।
सफर जिन्दगी का कोई हो, नव पथ गढ़ते जाना।।
प्रेम त्याग बलिदान सुसज्जित, रंग केसरी प्यारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
 
हरित-ललित खेतों व वनों की, मनभावन हरियाली।
रंगीले फल- फूलों से लद, भू लगती मतवाली।।
प्रेम रंग में रँगे हुए हैं, सब त्यौहार निराले।
होली क्रिसमस ईद लोहड़ी, हुए सभी मतवाले।।
प्रेम रंग से ही रिश्तों में, बढ़ता भाईचारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
 
रक्त पीत श्यामल अरु भूरी, मिट्टी उगले सोना।
मन को भाए रजत वर्ण का, हिमगिरि मुकुट सलोना।।
हरित रंग का हिन्द सिन्धु नित, चरणों में लहराता।
तीन वर्ण का झण्डा प्यारा, जग में शान बढ़ाता।।
इसीलिए तो केतु तिरंगा, हमें प्राण से प्यारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
 
प्रान्तों की विभिन्न संस्कृतियाँ, एक हुई सब आकर।
मन में गर्वित है "अंशी" इन, सब रंगों को पाकर।
कुछ ईश भक्ति कुछ मात-पिता की, भक्ति रंग में डूबे।
मित्र रंग कुछ महबूबा की, प्रीति रंग में डूबे।।
देशभक्ति का रंग रँगीला, सब रंगों से न्यारा।
अनगिन शुभ रंगों से सज्जित, भारतवर्ष हमारा।।
बोलो वन्दे मातरम्, बोलो वन्देमातरम्।
 
टिप्पणी: "विविधता में एकता" हमारे प्यारे भारत देश की मुख्य विशेषता है। प्रेम, सौहार्द, त्याग, बलिदान, भाईचारा आदि अनेक रंगों में रंगे हुए भारत देश की आन, बान, शान और पहचान है #तिरंगा। इस तिरंगे के लिए समय-समय पर अनेकों वीर अपना सर्वस्व न्यौछावर करते आये हैं क्योंकि रंग कोई भी हो किन्तु देशभक्ति के रंग की बात ही निराली है। देशभक्ति का रंग वह प्यारा रंग है जो हमारे दिलों से ऊँच-नीच, जाति-धर्म, निजी स्वार्थ आदि सारे बुरे भावों को मिटाकर, सबको एक प्रेम रंग में भिगोकर जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ भर देता है, इसलिए यदि प्रेम करना हो तो सबसे पहले अपने देश से प्रेम करें। वन्देमातरम्

 

 

आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल
लक्ष्मी लेखावर नौडियाल
 
 
 
भाँति-भाँति के रंगों से बना अपना भारत विशाल है,
देश भक्ति के रंगों से सज रहा माँ भारती का भाल है,
बिखर रहे हैं चारों ओर रंग देशभक्ति के हर राज्य में,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।
 
कोई फहराता है प्यारा तिरंगा तो कोई गाये शौर्य गीत,
करे स्मरण भारतीय वीरों की बलिदानी गाथाओं को,
रचाकर फिर नित नव कथा बीता जा रहा ये काल है,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।
 
रह रहे सदा संग-संग यह विभिन्न रंग हैं भारत के अंग,
भिन्न हैं बोली भाषा पहनावा सबका भारत में फिर भी,
हमारी एकता का इन्द्रधनुष विश्व नभ पर बेमिसाल है,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।
 
टिप्पणी : इस वर्ष भारत अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे कर रहा है, सम्पूर्ण भारतवर्ष इस साल अमृतमहोत्सव मना रहा है, भारत की विभिन्नताओं में एक रहकर हम सब भी विभिन्न अभिव्यक्ति और प्रतिक्रियाओं से अमृतमहोत्सव मना रहे हैं, जय भारत, वन्दे मातरम्

 

 

आजादी के अमृत महोत्सव की होली
शिव मोहन
 
 
रंग -रंग में बसा है भारत , हर रंग यहाँ की बोली।
आजादी के अमृत महोत्सव में, देश मना रहा होली।
केसरिया साफा पहने है, ये मतवालों की टोली।
भिन्न भिन्न रंग में हो जायें , आज सभी हम जोली। ।
 
याद करें उन लोगों को , जिनसे आजादी आई।
कीमत इसकी पहचानो , है अपनी नहीं पराई।
लाखों लोगों की कुर्बानी , याद करो अब भाई।
एक भी आँसू गिरा नहीं , वो भगत सिंह की माई।।
 
विविधताओं में एकता , पहचान रही है हमारी।
हर रंग से बना है इंद्रधनुष , भारत ललाट पे वारी।
आ जाओ फिर एक बार जुटे , अब लेके वही खुमारी।
भारत की वही मशाल लिए , हर हाथ में भारतवासी। ।
 
टिप्पणी: भारत विभिन्न रंगों से बना है और आजादी के अमृत महोत्सव में हर रंग का महत्त्व है। भारत के लोगों को इस आजादी की कीमत याद रखनी है जो बहुत कीमती है। ये आजादी किसी एक रंग ,एक समूह द्वारा नहीं मिली है ये सामूहिक है और भारत को एक बार पुनः संगठित होना है और इस आजादी को अक्षुण्ण रखना है इसी वृत के साथ हमें आजादी के अमृत महोत्सव की आने वाली होली मनानी है।

 

 

 

आजादी का अमृत महोत्सव
मीता चक्रवर्ती
 
आजादी का अमृत महोत्सव
है देश का ये स्वर्णिम उत्सव
यूं ही नहीं हुआ ये पल्लवित
सींचा गया है शहीदों के लहू से
 
वतन परस्तों ने अपने शीश कटाए
उपवन उजड़े, फूल मुर्झाए
कई घरों के कुल दीपक बूझे
माताओं के आंसू रो रो के सूखे
सुहागिनों का सुहाग उजड़ा
बहनों से उनका भाई बिछड़ा
 
जा के तब आजादी का ये उत्सव आया
स्वाधीन भारत में फिर तिरंगा लहराया।
 
टिप्पणी: आज जो हम आजादी का ये अमृत महोत्सव मना रहे हैं वो शहीदों के शहादत की वजह से ही संभव हो पाया है।
 

 

 

कौन रंग ------
रिद्धि भट
 
 
कौन रंग में रंग दूं चूनर कौन रंग में चोली?
कौन रंग में साड़ी रंग दूं बेटी मां से बोली।
केसरिया तू चूनर रंग दे, शुभ्र वर्ण की चोली,
भारत मां की धानी साड़ी पहन ले तू भी भोली।
 
गणतंत्र अभी मां फहर रहा है नेता मौन हैं साधे,
कौन रंग में रंगे रहेंगे इनके नेक अनेक इरादे।
कुछ तो बेटी काले मन के कुछ के सफेद वादे,
नीले पीले लाल गुलाबी कुछ बस खादी लादे।
 
तुम और मैं क्या कर सकते हैं मैया देश की खातिर,
हर चेहरा मायावी लगता हर नेता अब शातिर।
हमें स्वयं ही खिलानी होगी रंग बिरंगी क्यारी,
ऐसा माली चुनना होगा जो हो रंगों का माहिर।
 
कौन भला उस नाव को पूछे जिसका नहीं खिवैया,
हर रूप रंग में छिपा हुआ है नटवर लाल कन्हैया।
सौगंध राम की खा करके कुर्सी को सब ध्याते,
रामराज की बात करो तो करते ता ता थैया।
 
 
टिप्पणी: मां बेटी माध्यम हैं हर देशभक्त के जो देशप्रेम के रंग में रंगे हैं। परंतु कुछ स्वार्थी नेताओं की वजह से सभी पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में हमें यह भी प्रण लेना होगा कि हम सही प्रतिनिधि चुनें।
 

 

परिणाम एवं समीक्षा
(प्रभा मित्तल)

तकब 2/22
नमस्कार प्रिय मित्रगण,
हम सब जानते हैं कि भारत की स्वतंत्रता के 75वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हमारे देश में आजादी का अमृत महोत्सवमनाया जा रहा है।आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ से 75 सप्ताह पहले शुरू हुआ यह महोत्सव 15 अगस्त, 2023 को पूर्ण होगा।इस बार तकब 2/22 के चित्र के लिए भी यही विषय चुना गया था।आप सभी का प्रस्तुति - प्रयास सराहनीय रहा।सभी ने अमृत महोत्सव पर दिल खोलकर लिखा।हाँ कुछ में कहीं कहीं पँक्तियों में ताल-मेल का अभाव और लिंग-भेद के साथ कुछ वैयाकरणिक दोष दिखे,जो शब्दों की गरिमा को हास्यास्पद बना देते हैं।भाषा के साथ-साथ वर्तनी पर भी ध्यान देना आवश्यक है।फिर भी अमृत महोत्सव की कविताओं को एक-दूसरे से कमतर आँकना न्यायसंगत न होगा।यह महोत्सव आप सभी के लिए महत्व रखता है, अतः आप सभी प्रतिभागी रचनाकार बधाई व सम्मान के हकदार हैं।यहाँ हमें कुल ग्यारह रचनाएँ मिली हैं,जिनमें दो रचनाएँ निर्णायक मण्डल से हैं। इस समूह के नियमानुसार मिली शेष नौ रचनाओं में से चुनी गई सर्वोत्तम रचना को निर्णायक मंडल की ओर से मिले वोट इस प्रकार हैं..........

प्रथम स्थान के लिए प्राप्त वोट......
1.
किरण श्रीवास्तव----3
2.
अंशी कमल-----1
---------------------
द्वितीय स्थान के लिए प्राप्त वोट......
1.
शिव मोहन-----2
2.
लक्ष्मी नौडियाल ----1
3.
रिद्धि भट्ट------1
------------------
वोटों की संख्या के आधार पर सुश्री किरण श्रीवास्तव अपनी उत्कृष्ट रचना "अमृत महोत्सव" के साथ प्रथम स्थान पर विजयी रहीं।मेरे व निर्णायक मण्डल की ओर से किरण श्रीवास्तव जी को बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनाएँ।

तकब 2/22 में प्रतियोगिता के लिए आई सभी रचनाओं की समीक्षा 'सुश्री मीनाक्षी कपूर 'मीनूने की है।मैं इस सुन्दर समीक्षा के लिए मीनाक्षी जी का सहर्ष अभिनन्दन कर उनके प्रति हृदय से आभार प्रकट करती हूँ।तो लीजिए ....अब आपके समक्ष आप सभी की रचनाओं की समीक्षा लेकर उपस्थित हैं..... समीक्षक ....मीनाक्षी कपूर 'मीनू'........!

इस सृजनमंच के जन्मदाता श्री प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी और आप सभी प्रबुद्धजनों को मेरा नमन Description: 🙏Description: 😊
मैं इस योग्य नहीं कि आप सभी उच्चकोटि के साहित्यकारों की रचनाओं की समीक्षा कर सकूं , फिर भी कोशिश कर रही हूं क्योंकि जिन्होंने ये कार्यभार सौंपा है उनको इन​कार​ करके मैं उनके मान का अपमान नहीं कर सकती ।तबियत खराब होने की वजह से देरी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ।

*भारत की आजादी का अमृत महोत्सव* बहुत ही गहन विषय है , जिससे हम सब आत्मिक रूप से जुड़े है, दासता की जंजीरों की जकड़न से मुक्त हमारी भारत माँ आज उन्मुक्तता के शृंगार से सजी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है ... एक सुखद अहसास.... परन्तु कहीं न कहीं एक टीस है जो भीतर ही भीतर खाये जा रही है हमारे ही वजूद को , हमारे ही द्वारा । आज़ादी के 75 वर्ष के बाद भी जातिभेदभाव व अन्य धार्मिक मसले व कुछ आंतरिक विवाद के काले धब्बे हमारी आज़ादी की इंद्रधनुषी चादर को मलिन कर रहे है । आज आवश्यक है कि हम अपने वीर सपूतों को याद करें उन आजादी के मतवालों को याद करें और भारत माँ की छवि को आपसी प्रेमभाव से निखारने की कोशिश करें। हमारा भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और जिस प्रकार सभी रंग इस बात के धोतक है कि एक ही रंग से किसी चित्र की सजीवता नही उकेरी जा सकती उसी तरह भारत के हृदय की विशालता किसी एक जातिधर्म के रंग से नही आंकी जा सकती । आप सभी की रचनाओँ ने इस तस्वीर में निहित भाव को बखूबी समझ कर आत्मसात कर अपने भावों को यहां साझा किया है । लेकिन कुछेक रचनाएँ तस्वीर के साथ उतना मेल न कर पाई , जितना होना चाहिए था ,ऐसा मुझे अहसास हुआ । आप सबका स्वागत व अभिनदंन करते हुए अब समीक्षा कार्य प्रारंभ करती हूं।

सर्वप्रथम *आदरणीया किरण श्रीवास्तव जी* ... किरण जी की रचना की शुरुआती इन पंक्तियों ने मानो भावविभोर सा कर दिया...

आजादी के वीर सपूतों
तुम को बारंबार प्रणाम
बलिदानों को याद करें
चतुर्दिशाओं में आवाम

किरण जी की रचना ने उन सभी वीरों को जिनके बलिदान.त्याग.संघर्ष .सूझबूझ.और मुश्किलों से हमें आजादी मिली है.उनको हमें दिल से नमन करते हुए.अमृत महोत्सव को मनाने का संदेश दिया है, चाहा है कि चारों दिशाओं से एक ही आवाज़ आये.. खुद में बदलाव की ..स्व संकल्प की , अपनी रचना के माध्यम से हमारे अंतर्मन को जागृत करने की कोशिश की है कि आवांम (भारतवासी) उन संकल्पों पर अटल रहे.यही उन आज़ादी के सपूतों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। Description: 😊Description: 🙏

*सर्वप्रथम* साहित्य को समर्पित व हम सबको हमेशा सृजन के लिए प्रोत्साहित करने वाले वंदनीय प्रतिबिंब जी की रचना *बनी रहे भारत की आन बान शान* ने आज़ादी के मतवालों के सन्देश के साथ सबको लिखने के लिए प्रोत्साहित किया । प्रति जी की रचना आज़ाद भारत के स्वर्णिम 75 वर्ष को मन से एकाकार करने हेतु प्रेरित करती है, हमारे मन मे छुपे देशप्रेम के बीज पर निष्क्रिय पड़ी मिट्टी को हमारी पुरातन संस्कृति व आज़ादी के वीरों के रक्त भाव से सिंचित कर दबे पड़े बीज को वृक्ष बनाने के भाव को उजागर करती है ताकि आने वाला कल व भारत सही मायने में भारत देश बन सके, ऐसा देश जिसमें सभी धर्म के रंगों से रंगा भ्रातृभाव में डूबा हर भारतीय हो ।*आज़ादी में आज़ादी के मतवालों की भूमिका अहम् है उसे सदैव याद रखा जाना चाहिए* । बहुत अच्छा सन्देश प्रति जी Description: 🙏Description: 😊

*आदरणीय अज​य​ अग्रवाल आभा जी* ... प्रोत्साहन रूप में हमारी प्यारी आभा दी ने इंद्रधनुषी रंगों से मानो सबके सपनो को रंग दिया ,सच ही तो है कि मां भारती (भारत माता) में ही तो सबकुछ निहित है आज का युवा हो या बीता समय सब के रंगों से ही तो सजेगा ये अमृत महोत्सव .... दी गयी तस्वीर को सजीव भाव के साथ उजागर किया है । नमन Description: 🙏

*आदरणीया अलका गुप्ता 'भारती' जी* अब आती है हमारी अलका दी .. जिन्होंने अपनी रचना के द्वारा नवजागरण का आह्वाहन किया है । सच कहा अलका जी ने .

कुंठित हुइ हैं धार जो,
उसको तो अब लगाना है ।
विश्वगुरु पुनः देश बनाना है।..

आज मानव मन कुंठित है और आचार व्यवहार में बिखराव सा है ,लोग धर्म द्वेष में फंसे आगे न बढ़ पा रहे है । अलका जी ने हौसले में नए रंग भर कर भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए प्रेरित किया है । देश में नव जागरण लाना है....सकारात्मक भाव अलका जी । नमन Description: 🙏




*आदरणीया कुसुम शर्मा जी* ....अब आयी प्यारी हमारी कुसुम शर्मा जी की रचना , भारत को आज़ाद हुए 75 वर्ष हो जाएँगे तो आओ सभी मिल जुल कर इसे अमृत महोत्सव के रूप में मनाते है । बहुत सीधी व सच्ची बात कही अपनी रचना में कुसुम जी ने .. भारत माँ की 75वीं वर्षगाँठ पर आपने वीरों व शहीदों को नमन किया है , उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए आज के भारतवासी को जातिभेदभाव भूलकर भारत माँ की 75वीं वर्षगाँठ मनाने को कहा है । आभार कुसुम जी Description: 🙏Description: 😊


*आदरणीया बीना भट्ट बड़शिलिया जी* ... बीना जी ने घनाक्षरी छंद में 8..8.. पर यति और 32 वर्णों से सुसज्जित छंद ... बहुत ही सौंदर्यपूर्ण ढंग से अपने भाव व्यक्त किये है ...देश की संस्कृति को संवारने और समृद्ध करने के लिए शास्त्रों के साथ साथ अस्त्र-शस्त्र को भी देशहित में सहेजा जाये.....सही कहा आपने ... अमृत महोत्सव सब के मन मे सांस्कृतिक प्रकाश की ज्वाला जगा कर हमारे भूखंड को हमेशा अखंड रखे , इसी से भारत देश का मान बढ़ेगा । बहुत खूब बीना जी Description: 😊Description: 🙏

*आदरणीय अंशी कमल जी* ..... "विविधता में एकता" हमारे प्यारे भारत देश की मुख्य विशेषता है। प्रेम, सौहार्द, त्याग, बलिदान, भाईचारा आदि अनेक रंगों में रंगे हुए भारत देश की आन, बान, शान और पहचान है तिरंगा । बहुत खूब अंशी जी । प्रेम का रंग ... माता पिता हो या ईश , मित्र हो या प्रीति भाव .. प्रेम भाव हमेशा मन को मोह लेता है और वह प्रेम गीत जब देशभक्ति के​ ​विभिन्न रंगों पर्वों से उनकी परंपराओं के शगुन से रंगीन हो तो वह सिर्फ प्रेम गीत नही रहता बल्कि शाश्वत गीत बन जाता है जो हर किसी का मनमीत बन जाता है । Description: 🙏Description: 😊


*आदरणीय लक्ष्मी नौडियाल जी*
रह रहे सदा संग-संग यह विभिन्न रंग हैं भारत के अंग,
भिन्न हैं बोली भाषा पहनावा सबका भारत में फिर भी,
हमारी एकता का इन्द्रधनुष विश्व नभ पर बेमिसाल है,
ये भारत की आज़ादी का अमृतमहोत्सव का साल है ।

लक्ष्मी जी कितनी प्यारी है ये पंक्तियां , यहां सब कुछ विभिन्न है फिर भी संपूर्णता है , सभी भारत का अभिन्न अंग है ,संग संग है सम्पूर्ण भारतवर्ष इस साल अमृतमहोत्सव मना रहा है, भारत की विभिन्नताओं में एक रहकर हम सब भी विभिन्न अभिव्यक्ति और प्रतिक्रियाओं से अमृतमहोत्सव मना रहे हैं ।बहुत खूब । Description: 😊Description: 🙏


*आदरणीय शिव मोहन जी* ..आजादी के अमृत महोत्सव की होली ......होली के रंगों सा खुशी भरा मिलाप अनुभव हुआ आपकी रचना से ..भारत विभिन्न रंगों से बना है और आजादी के अमृत महोत्सव में हर रंग का महत्त्व है। भारत के लोगों को इस आजादी की कीमत याद रखनी है जो बहुत कीमती है।आजादी किसी एक रंग ,एक समूह द्वारा नहीं मिली है ये सामूहिक है और भारत को एक बार पुनः संगठित होना है और इस आजादी को अक्षुण्ण रखना है इसी वृत के साथ हमें आजादी के अमृत महोत्सव की आने वाली होली मनानी है ।शिव मोहन जी ने रंगों की असली महता के द्वारा भावों की खुशनुमा होली खेलने के लिए प्रेरित किया है और होली का असली आनंद तब तक नही आता जब तक ये सामूहिक न हो , आज़ादी के रंग से होली का तिलक कर सबको एक बार पुनः संगठित करने के भाव । साधुवाद शिव मोहन जी Description: 🙏Description: 😊

*आदरणीया मीता चक्रवर्ती जी*

वतन परस्तों ने अपने शीश कटाए
उपवन उजड़े, फूल मुर्झाए
कई घरों के कुल दीपक बूझे
माताओं के आंसू रो रो के सूखे
सुहागिनों का सुहाग उजड़ा
बहनों से उनका भाई बिछड़ा

आज जो हम आजादी का ये अमृत महोत्सव मना रहे हैं वो शहीदों के शहादत की वजह से ही संभव हो पाया है। मीता जी सच कहूँ तो आपकी इन पंक्तियों से जैसे मन 75 वर्ष पूर्व के आजादी के हर लहू के कतरे की दर्द भरी दास्तां को आंखों के सामने ले आया । अगर उस दर्द की नदी को पार न किया होता तो क्या आज हम आज़ादी का ये जश्न मना रहे होते । भावपूर्णDescription: 🙏Description: 😊


*आदरणीया रिद्धि भट्ट* ....कौन रंग -----

सौगंध राम की खा करके कुर्सी को सब ध्याते,
रामराज की बात करो तो करते ता ता थैया।

मां बेटी माध्यम हैं हर देशभक्त के जो देशप्रेम के रंग में रंगे हैं। परंतु कुछ स्वार्थी नेताओं की वजह से सब पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में हमें यह भी प्रण लेना होगा कि हम सही प्रतिनिधि चुनें। रिद्धि जी ने मां बेटी के माध्यम से एक ऐसा प्रश्न उठाया है जो यक्ष प्रश है ??? आज़ादी के बाद भी आज तक सौगंध झूठी है संस्कार की तरह , बस कुर्सी की ताकत बढ़ती जा रही है , बहुत खूब । आभार Description: 🙏Description: 😊

समीक्षिका .. *मीनाक्षी कपूर मीनू (मनस्वी)*}}

सार्थक सारगर्भित समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मीनाक्षी कपूर 'मीनू' जी....आपके सहयोग की आभारी हूँ।उत्कृष्ट समीक्षा के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...हार्दिक शुभकामनाएँ।
देती हूँ।मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है...अधिक से अधिक रचनाकार इसमें हिस्सा लेकर समूह को गतिमान रखें।बेहतरीन प्रयास और सुन्दर रचनाओं द्वारा समूह में अमृत महोत्सव में प्रस्तुति देने के लिए मैं सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद व बहुत बहुत बधाई देती हूँ।
निर्णायक मण्डल के सभी सहयोगी गुणीजनों का सहृदय धन्यवाद... आभार।प्रोत्साहन के लिए प्रस्तुति हेतू प्रिय प्रतिबिम्ब जी व सुश्री आभा जी का हृदय से आभार !!

सस्नेह शुभकामनाएँ !

प्रभा मित्तल.

 

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