Wednesday, March 4, 2015

२७ फरवरी २०१५ का चित्र और भाव




प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल .

~आ खेले ऐसे होली ~

रंग रंग में बसी तस्वीर तुम्हारी
आ खेले होली रंग कर मन हम अपना
तेरे रंग में, मैं रंग जाऊं,
मेरे रंग में, तू रंग जाए, आ खेले ऐसे होली

अंग अंग में रंग लगा बदली सूरत तुम्हारी
आ खेले होली तन मन से एक हो जाए
रंग तेरा मैं पहचानू
रंग मेरा तू पहचाने , आ खेले ऐसे होली

संग संग प्रेम गीतों पर आ झूम उठे
आ खेले होली. एक दूजे का 'प्रतिबिंब' बन जाए
तू मुझ में खो जाए
मैं तुझ में खो जाऊं, आ खेले ऐसी होली


बालकृष्ण डी ध्यानी

हैपी होली

रंग लाल लाल लाल
गुलाल हरा पिला नीला
आसमान में चारों ओर है आज उड़ा
हर अंग उमंग से मिला

प्रेम तरल में वो बहा
हर मन राधा कृष्णा आज बना
गोप गोपियों के संग
फिर आज होली खेलन चला

हर गाल रंग से सोहे
थिरक थिरक भांग चढ़े मोहे
अति आनंदित आनंद मचा
ताल मृदंग आह खूब बजा

होरी की शोभ अति न्यारी
मन उड़े रंग क्या जवान क्या महतारी
पनिया भरन अब भी वो जाती
रंगों भरी पिचकारी बतियाती

रंगों की बात क्या करे कविराज
होली खेलन निकलो फिर आज
कलम को दे दो थोड़ा आज विराम
रंगों को लो आज हाथों में थाम

रंग लाल लाल लाल
गुलाल हरा पिला नीला
आसमान में चारों ओर है आज उड़ा
हर अंग उमंग से मिला


कुसुम शर्मा 
~होली आई रे~
========

होली आई रे देखो होली आई रे
रंगो की बरखा छाई रे
लाल, गुलाबी नीले पाले रंग बरसाई रे
देखो रे होली आई रे
ग्वाल बाल सब नाच रहे है
भर पिचकारी मार रहे है
प्रित से सब को बाँध रहे है
कैसे रंग बरसाई रे
देखो रे होली आई रे
बेर भाव को भूल के सब होली खेले रे
रंगो में भी प्यार छुपा है
लाल रंग तो प्रेमी को भावे
पीला रंग दोस्ती निभावे
हरा रंग से हरियाली छावे
सभी रंग जब एक हो जावे
इन्द्रधनुष तब ये ही बनावे
आसमान ने इसको ओढ़ा रे
देखो रे देखो होली आई रे


अलका गुप्ता 
~रंग ही रंग प्रीत में ~

रंगे हैं रंग प्रीत में .. गोपी और गोपियाँ |
भीजु गए ..अंग सारे ..चोली औ चुनरिया ||

बिखर रहीं कपोलों पर गुलाल की लालियाँ |
लागे है ..रीत प्यारी.. ग्वाल फोड़ें ..गगरिया |
रंग गई ....गोपी सारी ...अंग-तंग गुजरिया |
भीजु गए ..अंग सारे ..चोली औ चुनरिया ||

डूबि रहे ..सर से पाँव ... गोप और गोपियाँ |
छलबल छलकाएँ अँखियाँ मधुमय सी प्यालियाँ |
नाचें ..ढोल-पिचुकारी ले ...सगरी नगरिया |
भीजु गए ..अंग सारे ..चोली औ चुनरिया ||

रंग-रंग से ..रंग डारें ... संग हैं... गारियाँ |
झूम रहे ..फ़ाग मस्त... प्यारे और प्यारियाँ |
लाग रहीं कपोलन बंकिम सबकी नजरिया |
भीजु गए ..अंग सारे ..चोली औ चुनरिया ||

रंग -रंगीले... भूत सारे ....होय के मतवारे |
गली ..द्वारे.. भाज रहे ....होली के हुरियारे |
कर धमाल हुडदंगी...गाएँ धमार... टोलियाँ |
भीजु गए ..अंग सारे ..चोली औ चुनरिया ||

मानो न बुरा .. होली है ...आ खेलें होलियाँ |
मिट जाएँ मन से... वैर सारे..और दूरियाँ |
होली है ..होली है ..आ ..खेलें ...होली आ..!
भीजु गए ..अंग सारे..चोली औ चुनरिया ||


Pushpa Tripathi 
~ आई होली आई रे ~

रंग दे गुलाल मोहे
सखी री .... आई होली आई रे !

पग पग बाजे पैंजनियां
फागुन गीत सुनाये रे
सखी री …… आई होली आई रे !

गाल गुलाब महके है तन
भर भर पिचकारी कान्हा ने मारी
सखी री … आई होली रे !

गुनगुनाती धूप
खिलती रही रूप
सावरे के संग में
सखी री .... आई होली आई रे !


नैनी ग्रोवर 
--रीत गई होली---

राह तकते तकते पथ्थर हुई आँखें, बीत गई होली,
खाली खाली गागर सी, रीत गई होली..

रंग-बिरंगी इस नगरी में, कोई भी रंग भाये ना,
क्या करूँ इस पिचकारी का, साजन आये ना,
भर के अगन, मेरे मन में,
यूँ जीत गई होली..

सखियों ने कसम से, बार-बार तो था मनाया,
पर मन ने, तुझे पल भर को भी ना बिसराया,
ले के सभी अरमान मेरे, मेरे मीत गई होली..


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

No comments:

Post a Comment

शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिए !!!