Thursday, March 26, 2015

२० मार्च २०१५ का चित्र और मित्रो के भाव



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
~उस पार~
अब इस पार या उस पार
बाधाओ से पाना है पार
हौसला मुझे दिखाना होगा
बाधाओ से पार तो पाना होगा
लक्ष्य मैंने साध लिया है
चुनौतियों को स्वीकार लिया है
टूटेंगे राह के पत्थर ‘प्रतिबिम्ब’
मगर पानी है मंजिल. ठान लिया है

नैनी ग्रोवर 
--हिम्मत--

इस छोर से, उस छोर तक,
बस एक ही छलांग है,
अगर करले हौंसला,
वरना यूँ ही किनारे खड़ा रह जाएगा,
और बाज़ी कोई और मार ले जाएगा,
देख वक़्त कम है, फिर भी गर दम है,
पा लेगा मन्ज़िल को, बना लेगा खुद का जहाँ,
डराएंगे तुझे डराने वाले बहुत,
मौत भी आलिंगन को बेकरार होगी,
कर जाए अगर फिर भी तू ये,
सच मान तेरी जीत और सभी की हार होगी,
ज़िन्दगी का बस यही फलसफा है,
पाया है उसी ने जो बस चलता चला है,
लगाके देख एक दांव, दे गए साथ जो तेरे पाँव,
उस छोर पे खुशियों भरा चमन होगा,
यारों की महफ़िल होगी, सितारों भरा गगन होगा..!!



बलदाऊ गोस्वामी विश्वास :
(एक चित्र)

कदम उठा
छलांग लगा
इस पार से उस पार
सफलता क्षमता में विश्वास
चाहती है |

कदम उठा
छलांग लगा
मंजिल की राह में
दु:ख आये तो आये
पद की गति बढ जायेगी |

उठा कदम
छलांग लगा
उस पार बना
कर्म की तस्वीर
और तब गूँज उठेगी
गीतों की स्वर लहरियाँ |


Negi Nandu
{ हौसला }

जीवन की हे ये डगर ,
चलना मुश्किल पर हे यही सफर l
डगमगाए जो कदम तेरे ,
रख यकीं तू खुद पर l
कब तक यूँ सहमे रहेगा ,
उठ
चल
तू दौड़ लगा। ...
गिर पड़ा जो तू तो क्या हुआ ,
उठ खड़ा फिर दौड़ लगा ..........
उठ खड़ा फिर दौड़ लगा ..........


बालकृष्ण डी ध्यानी 
~ अब भी बाकी है ~

बस एक और वो छलांग बाकी है
मेरे विशवास की वो शाम अब भी बाकी है

मेरी मंजिल देखे रास्ता वो मेरे आने का
मुझ में कहीं छुपी वो बात अब भी बाकी है

हर रात की एक ना एक दिन सुबह होती
मेरी वो खोयी सुबह अब भी बाकी है

देखना जाऊंगा कूद के उस पार एक दिन
मेरे अपनों का वो इंतजार अब भी बाकी है

बस एक और वो छलांग बाकी है
मेरे विशवास की वो शाम अब भी बाकी है


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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