- सीख साथी की
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आज गिरा है फिर ना गिरना ,
आज अकड़ा है, फिर न अकड़ना,
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बार बार गिरना ,बारबार अकड़ना.
नर का,खर का ,यह नहीं है गहना,
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रोना नहीं कभी भी गिरकर,
अबकी सम्भल कर चलना,
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तेरी सफलता खुद कह देगी,
नाकामी किसी से ना कहना,
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तूं कहे मैं सहूँ, मैं कहूँ तूं सहना,
शेष दुनियां से बचकर ही रहना
लकड़ी का है प्यारा घोड़ा,
टिक -टिक करता, दौड़ लगाता ,
गुड़िया रानी बड़ी सयानी,
करती दिन भर नटखट शैतानी,
कभी घोड़े पर दौड़ लगाये,
कभी उस पर चढ़ कर रोब जमाये ,
उससे कहती मै हूँ रानी ,
घोड़े सुन लो मेरी वाणी ,
मम्मी जब आये चुप हो जाना,
जाने पर ही दौड़ लगाना ,
नही तो शामत आ जायेगी ,
मम्मी ग़ुस्सा हो जायेगी ,
चुप मै कहु तो चुप हो जाना ,
मेरे साथ ही तुम सो जाना !!
- पैगाम
- मैं तो यायावर हूँ ,
भ्रमण मेरा काम,
अगर भटक जाऊं,
मेरे उमेठना कान|
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बिना बन्धन के,
कठिन है मुकाम,
मिले नित्य निर्देश,
हस्तगत रहे लगाम|
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अश्व मात्र प्रतीक है,
शेष मेरा है नाम|
संकेतों से दिया है,
मेने असली पैगाम
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
सभी मित्रों की कल्पना सुन्दर लगी,सभी का हार्दिक धन्यबाद,और बिशेष धन्यबाद श्री बड़थ्वाल जी का जो इस पेज को ऑर्गनाइज कर रहे है,,
ReplyDeleteस्वागत है जयाड़ा जी .... आप मित्रो के सहयोग बिना मुमकिन भी नही
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