Thursday, August 15, 2013

13 अगस्त 2013 का चित्र और भाव

15 अगस्त पर प्रेषित 


बालकृष्ण डी ध्यानी 
अखंड भारत का सपना

अखंड भारत का
सपना संजोये बैठा है ये दिल
फिर हिन्द का परचम लेके
बैठा है ये दिल
अखंड भारत का
सपना संजोये बैठा है ये दिल.....

भारत माँ की टूटी भुजाओं को
जोड़्कर फिर देख रहा दिल
भगवा का सुंदर रंग साथ लेकर
फिर खेल रहा है दिल
अखंड भारत का
सपना संजोये बैठा है ये दिल …

खंडो खंडो में बांटा है आज
उसे एक खंड में जोड़कर देख रहा है दिल
एकाकार सिंह रूप में बिठाकर
खुले मन में विचर रहा है दिल
अखंड भारत का
सपना संजोये बैठा है ये दिल …

तीन रंगों में अब रंग जाने को
बैठा है ये दिल
अपनो को अब संग लाने को
बैठा है ये दिल
अखंड भारत का
सपना संजोये बैठा है ये दिल …


सुनीता पुष्पराज पान्डेय 
अपने देश को अंखड भारत बनाने की हमने ठानी है
एक ही लक्ष्य अब हो हमारा
जिये हम देश की खातिर मर जाये इस देश की खातिर ,
जब तक है जान हमारी
हम देश की आन के लिये अपनी जान लड़ायेगे ,
इस अखंड भारत के सपने को हम पूरा कर दिखलायेँगे


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
खंड होता देख रहा हूँ
अखंड भारत का सपना
अंग्रेजो की निति पर चल रहे
देश को टुकड़े कर नए देश बना रहे
जो थे अपने अब पड़ोसी हो गए
पड़ोसी जब तब आँख दिखाते है
हम फिर भी पड़ोसी धर्म निभाते है

देश जो बचा वो भारत का हिस्सा है
जो हुआ अब तक, समझो किस्सा है
कोई हम पर अंगुली उठाये न पाए
तिरंगे का सम्मान झुकने न पाए
आओ सब देश हित में एक हो जाए
जाति - धर्म न इसमें रोड़ा बन पाए
बंगाल से गुजरात तक
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
अखंड भारत का भाव संचार हो
तन मन में भारत के प्रति प्यार हो
एक आवाज फिर बुलंद हो
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्


Pushpa Tripathi 
- मेरा भारत -

भारत मेरा .. प्यारा भारत है
देश को जोड़ती विभिन्नता की मिसाल है
सिन्धु यहाँ का जोड़ता प्रदेश
एक ही भारत .. मेरा अभिमान है
सभ्यता कई हमें सिखाती
जन जन भूमि पर ध्वज फहराती
रग रग एकता दीप जले
स्वर्ण प्रकाश चालित व्योम रहे
भारत मेरा प्यारा भारत
सदियों सदियों अखंड रहे
जय हिन्द .... जय हिन्द .... जय हिन्द ..!!!


जगदीश पांडेय 
कैसे कहूँ आज मेरा भारत अखंड है
जहाँ भी जाए नजर दिखता खंड है
था कभी नारा जय जवान जय किसान
अब तो बेइमानी भ्रष्टाचारी प्रचंड है
दम तोड रहा है कानून यहाँ
संसद की चार दिवारी में
कोई बना है धृतराष्ट्र यहाँ
तो दुस्सासन व्याभिचारी में


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 
कैसे।।।
ह्रदय चीत्कार दबा मैं। .
झूठी जय जयकार करूँ। .
सहमी हूँ। .
देख भविष्य। ।
कैसे माँ की लाज़ ढकूं। .
दिन का चैन। .
महंगाई खा गयी। .
रातों का। ।
धर्म छीने सुकून।
कन्या शूल बन चुकीं जहाँ । .
कैसे उस आँगन पाँव धरुं।
कैसे झूठी जय जयकार करूँ। ।

कैसे देखूँ। .
चीथड़ों मैं माँ। .
टुकड़े कलेजे के। .
दामन से। .
अपना२ कतरन काट रहे। .
धर्म, भाषा, जाति से। .
माँ तेरा। .
कलेजा बाँट रहे।
बेटी हूँ। .
माँ तेरी। ।
तेरा मेरा साथ रहे। .

अँधा कानून जाने सब। .
जब गूंगा होने लगे। ।
देश में गद्दारों की। .
तूती गरजने लगे जब। .
समझो तिरंगा रंग। .
बदलने लगा है अब। .
कैसे फिर तेरे। ।
दामन में माँ। .
नव तिरंगा रंगूँ।
कैसे झूठी जय जयकार करूँ। ।


अलका गुप्ता 
-देश के कायरों से --

देश हो ...... खण्ड-खण्ड !
अखिल विश्व चाहें रो पड़े !
विलग हों .......जन-जन !
कौम की ....... आड़ में !
संभाल लो ......अस्त्र को !
रक्त से ......भाई के रंगो !
मार दो .... मानवता को !
सिर ना फिर .. उठा सके !
तोड़ दो सहृदय हाथ-पाँव ..
साह्यतार्थ ..जो मचल उठें !
सूनी हों ....... माँग भी...
माँ विकल.....सिसक उठें !
मींच लो !...... मींच लो !
कायरों !..निज आँख को !
नमन करो .....उद्दण्ड हो !
आज के ..आतंकवाद को !
भूल जाओ !...अतीत के...
देश-हित ...रक्त-दान को !
सोचना मत...भविष्य को !
देखना .... चुपचाप सब ...
देश में ! ............ चाहें ...
बेकसूर ...... मारकाट हो !



सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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