Friday, April 3, 2015

३० मार्च २०१५ का चित्र और भाव




प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ....
~एक कप चाय हो जाए ~

आओ मित्रो बैठ कर, एक कप चाय हो जाए
मर्जी आपकी काली या दूध वाली ही पी जाए
शक्कर भी पसंद आपकी, बस एक कप हो जाए
आज मिले है, चलो जिन्दगी पर चर्चा हो जाए
खा कर बिस्कुट, चलो दिन पुराने जी लिए जाए

दुश्मन हो या दोस्त, एक चाय के लिए जगह होनी चाहिए
गुफ्तगू हो विचारो की, शायद कोई बात मन में उतर जाए
था जो स्वाद कडवा रिश्तो में, शायद शक्कर सा मिल जाए
बता मन की 'प्रतिबिंब', शायद मन अपना कुछ हल्का हो जाए
कर जुगाड़ कुछ ऐसा, जब भी मिले तो एक कप चाय हो जाए



भगवान सिंह जयाड़ा 
---चाय की प्याली----

चाय की प्यार की चुस्कियो में ,
दिल से यारों के दिल मिलते है,
साथ उसके और भी हो कुछ,
तो वाह ! दिल दूने खिलते है,
चाय अजीब रिश्ता जिंदगी का,
जिस में अहशास नए मिलते है,
मानो न मानों कमाल की चीज है,
इस से प्रेम के फूल खिलते है,
इस के राज अमूल्य होते है,
जो हमारे मन को छू जाते है,
प्यार से पिला दो किसी को,
तो दिल से दिल मिल जाते है


नैनी ग्रोवर 
-- आज भी याद है--

वो सर्दी के ठिठुरते दिन,
और रिमझिम पड़ती बरसातें,
दोस्तों का साथ, और
चाय की चुस्कियों में बातें,
आज भी याद है..
चलो आज फिर से, उन्हें ताज़ा करते हैं,
दो घूँट चाय में दोस्तों को याद करते हैं,
वो आखिरी बचे बिस्किट पे नज़र डाल के मुस्कुराना,
फिर उसके टुकड़े कर, सभी को थमाना,
आज भी याद है ..
वो हँसना हँसाना, बात बात पे ठहाके लगाना,
एक दूजे के कप से, चुपचाप चाय पी जाना,
बजाके मेज, ज़ोरज़ोर से गाना,
आज भी याद है..


डॉली अग्रवाल 
~इक प्याली चाय~
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चाय के हर प्याले के साथ हमने
थोड़ी चीनी और ,
थोड़ी खुशियां मिला ली ,
हर उबाल के साथ ,
हमने थोड़ी ज़िन्दगी पका ली !
कुछ यादो के बिस्कुट ,
चाय में भिगो कर खाये !
चाय के उड़ते भाप में ,
खुद को उड़ा हम जीये !!


कुसुम शर्मा 
चाय का नशा
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"फिर शाम-ऐ-तन्हाई जागी, चाय! फिर तुम याद आ रही हो
फिर जां निकलने लगी है, फिर तुम मुझको तड़पा रही हो...
इस दिल में यादों के मेले हैं, तुम बिन बहुत हम अकेले हैं..,
शाम की इस हल्की बारिश में मौसम दिलकश हो गया है
बस अब गर्मा-गर्म पकौड़े और तुम्हारा ही साथ चाहियें

तुम बिन दिलकश मौसम, मौसम न ये होगा !
मेरे पूरे दिलो दिमाग पर तो तुम छाई हुई हो
तुम्हे न पाकर हम तो मानो पागल से हो जाते है ,
कोई कहे की हमे नशा तुम्हारा है तो हमे मंज़ूर है ,
सुबह आँखे खुलते ही तुम्हे पाना चाहते है हम,
सुबह और श्याम बस तुम्हारे साथ जीना चाहते है हम,

तुम्हारी एक नज़र ही भर देती है दिल में मस्ती,
जो तुम्हे पी ले एक बार तो हमेशा तुम्हे ही पीना चाहेगा,
चाय ! हम जैसो के लिए एक अमृत का प्याला हो,
चाय ! सुस्त जीवन में चुस्ती-फुर्ती का संचार हो ,
चाय ! तन -मन की थकान को छूमंतर हो करती,
चाय ! सर्दियों में गर्मी का एहसास हो,
चाय ! तुम्हारा नशा हमे चढ़ा तो हम
सुबह शाम तुम्हे पुकारने लगे
अब ये हाल है कि आँखे खुलती है तुम से ही
और ये आँखे बंद भी होती है तो तुम से ही



बालकृष्ण डी ध्यानी .....

अपना तो एक ही हिसाब

फिजूल की ये बेख़र्ची
अमीरी का चढ़ा यूँ बुखार
अपना तो एक ही हिसाब
बस एक गिलास भरकर
ले आना तो चाय जनाब

ना कप है ना चमचे
ना अंगरेजी बिस्किट का कोई रुबाब
अपना वही रोज डूबकर खाना
वाह ! वो बासी रोटी का स्वाद
ले आना और एक गिलास चाय जनाब

मन नहीं भरता देखे इसे
ये दिल में भी अब नहीं अखरता
बस जेब की वो एक बची अठनी
दे जाती हर रोज जवाब
बस जी आज सुखी रोटी का ही साथ

फिजूल की ये बेख़र्ची
अमीरी का चढ़ा यूँ बुखार
अपना तो एक ही हिसाब
बस एक गिलास भरकर
ले आना तो चाय जनाब



अलका गुप्ता 
~~~~~~चाय हो जाए~~~~~~

चाय तो एक बहाना है
वरना ,,आपको बुलाना है
मिल बैठेंगे चार यार ...
निकालेंगे दिल के खुमार |
चाय तो एक बाहाना है |
आपसे मिलने का बहाना है|
चाय पर ही आज सुलझते हैं...
विजनेस सियासत औ प्यार के किस्से भी |
कभी कम्पनी बुलाती ...
कभी मोदी,,कभी मम्मी |
वाह्ह चाय क्या ..सच्चा ताज है |
अरबों-खरबों का बिजनेस कराती है चाय !
आज प्रतिबिम्ब जी ने बुलाया है...
अपने ब्लॉग का किस्सा निपटवाया है |
कप तो रखे हैं चार ...
और हम मित्रों से चाहते हैं...
कविताएँ लिखें...पूरी हज़ार |
ये तो मित्रों ! हममे ही है ..
आपस में इतना प्यार...
कि हम कहते ही रहते हैं..
आपस में ...पहले आप..!!!!
पहले आप ...!!!!



सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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