Thursday, July 25, 2013

23 जुलाई 2013 का चित्र और भाव



सुनीता पुष्पराज पान्डेय 
सुन मेरी मुन्नी सुन मेरे मुन्ना
ना खाना तुम आँगन वाड़ी का खाना ,
कही बाद में पडे न पछताना ,
मै दे न पाउंगी भर पेट खाना ,
मेरे आँख के तारो कम खाना
पर नही पडेगा जान गंवाना ।


जगदीश पांडेय 
खाई जब ठोकर जमानें की
तो समझ में आई बात एक
असहज सी लगनें वाली तू
जिंदगी तेरे रूप हैं अनेंक

कभी तू हँसती कभी तू रोती
कभी अचरज में हो जाती तू
पल में दिखा के ख्वाब अनेंक
मन को लुभा जाती है तू

कुछ भी हो कैसी भी हो
हो एक अद्भुत पहेली तू
हर एक रूप में सजनें वाली
मेरी एक सहेली है तू


Pushpa Tripathi
 - हंस ले जरा .....

उदास होता है तू
रे मन, कुछ बोल भी देता है तू
फिर उसका असर
चुप हो जाता है तू
मन तू
काहे धीर न धरता
मन को मारता
जीता है तू
हँस ले
बोल ले
कहकर देख
अपनी बात जरा
कुछ बनेगा
क्या बिगड़ेगा
जो होगा
सो होगा
देखा जाएगा
रे मन ... तू चला चल
स्वयं को झांक
क्या मिला है
क्या मिलेगा
क्या खोएगा
क्या पाएगा
मन को जीत
जीतकर जी ले
सुख सभी
यही पायेगा
रे मन .... तू हंस ले जरा l


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
तू चाहे तो
रो कर गम भुला
तू चाहे तो
चुप रह खुद को सता
तू चाहे तो
मुस्करा कर आगे बढ़

जानते है
हर पल एक सा नही रहता
सुख दुःख
का साया साथ है चलता
जीने के लिए
मुस्करा कर आगे बढ़


किरण आर्य 
ए मन तू ना भरमा
सुख दुःख आते जाते
रोकर ग़मों को ना बढ़ा

रोना है क्यूकर
कर ग़मों का सामना
ए मन तू डटकर

शांत कर चित को
हाँ वैसे ही
जैसे बारिश के बाद
शांत सा होता है गगन

देख खुशियाँ अनगिनत
बिखरी पड़ी चहुँ और
उनके संग तू मुस्कुरा

जरा हाथ तो बढ़ा
इनके संग हंस
थोडा सा ले गुनगुना

ए मन तू ना भरमा
सुख दुःख आते जाते
रोकर ग़मों को ना बढ़ा



बालकृष्ण डी ध्यानी 
रंगरेज मेरे

उदास भरी राह है
मंजील यंहा है
डगर कंहा है
ये उष्ण रंग
ये लाल रंग
ना तेरे कोई संग

स्तभ है
अचंभित है तू
देख ज़माने के रंग
हरा आज हैरान है
ये शांत रंग
परेशानी हरदम तेरे संग

खिल खिला तू
मिल मिला तू
अपनों में रचा तू
गैरों में सजा तू
ये पीला रंग
सिलसिला जुडा तेरे संग


कुसुम शर्मा 
ज़िन्दगी को ऐसे जियो जो भी हो हंस कर जियो
ये मिलती नहीं है बार बार तो क्यों किसे रो कर जियो
सुख हो या दुःख मान लो एक समान
ये ही तो ज़िन्दगी के दो पहलु हैं
तो क्यों इसे अलग अलग जियो
जो भी हो हंस कर जियो
जो ज़िन्दगी में आये दुःख के पल
तो उसे न ज्यादा दुःख से जियो
जो ज़िन्दगी में आये सुख के पल
तो उसे न ज्यादा ख़ुशी से जियो
हर हाल में उसे एक समान जियो
ज़िन्दगी तो जिन्दादिली का नाम है
ये सोच कर जियो
जो भी हो हंस कर जियो


Pushpa Tripathi 
- रे मन .....

दुःख में बावला
बना क्यूँ गुब्बारा
तू मन हार
दूर चला
पल में दुःख
पल में सुख
तू द्वंदों में फंसा हुआ l
करनी तेरी
पार उतरनी
जैसा भी तू
सोच रहा
बुद्धि चातुर
सब में आतुर
अधिक आनंद घबराया हुआ l


डॉ. सरोज गुप्ता 
रंग जा गौरी
~~~~~~~~
रंग में भी हैं रंग ,
नाच रहा मन कुरंग,
देख, क्यों है दंग,
यह नहीं है कोई जंग ,
न ही कोई उड़दंग ,
बेरंग जीवन है नंग,
रंग से है जीवन यंग ,
रंगों से सजा ले गौरी ,
तू अपना अंग -अंग !

राग का रंग -
गर्म खून का रंग-
हिंसा का रंग -
लाल -लाल -लाल !
सीमाओं का उल्लंघन
करता हलाल
न कर मलाल
जब तक रहे सिग्नल
लाल -लाल -लाल !
न हो उदास
समझो खतरा
चलो पेंतरा
रुको ,रहो सचेत
बचे रहोगे -
बाल -बाल -बाल !!

रंग में भी हैं रंग ,
नाच रहा मन कुरंग।
देख, क्यों है दंग,
यह नहीं है कोई जंग ,
न ही कोई उड़दंग ,
बेरंग जीवन है नंग,
रंग से है जीवन यंग ,
रंगों से सजा ले गौरी ,
तू अपना अंग -अंग !

लाल रंग में है आग
आग का ईंधन मैं हूँ गौरी
हरे रंग में रंग जा कोरी
सरपट दौड़ पार कर पौढ़ी
मुझमें रंग बदल दूँ ढंग
प्रकृति के ये सतरंगी रंग
पी ले मुझे गटक -गटक
चल नाक की सीधी सडक
मुझसे पायेगी ठंडक !
हरा -हरा -हरा !

शान्ति का दूत हूँ मैं ,
आँखों का सकून हूँ मैं,
प्रकृति का प्रतिरूप हूँ मैं ,
रंग भरा हरा भरा हूँ मैं ,
खून बनाता,बढाता हूँ मैं ,
हर मर्ज की दवा हूँ मैं ,
भरा -भरा -भरा !!

रंग में भी हैं रंग ,
नाच रहा मन कुरंग,
देख, क्यों है दंग,
यह नहीं है कोई जंग,
न ही कोई उड़दंग ,
बेरंग जीवन है नंग,
रंग से है जीवन यंग ,
रंगों से सजा ले गौरी ,
तू अपना अंग -अंग !

पहन लाल-हरी चूड़ियाँ
रंग ले गौरी पीले हाथ
गगन के पार है तेरे नाथ
तेरे मुख मंडल की ऊर्जा
दे रही शुभ -संकेत
सूरज से पाया तूने तेज
तेरा बना रहे यह क्रेज
पीला -पीला -पीला !

चोट पर करने से चोट
निकलते हैं रंग
लोहा काला सही
गर्म लोहे पर करोगे चोट
रंग करेंगे चकाचौंध
नया होगा तुमको बोध
विश्व में फैलेगा
आमोद -प्रमोद
न करना गौरी आँचल
गीला -गीला -गीला !!

रंग में भी हैं रंग ,
नाच रहा मन कुरंग,
देख, क्यों है दंग,
यह नहीं है कोई जंग ,
न ही कोई उड़दंग ,
बेरंग जीवन है नंग,
रंग से है जीवन यंग ,
रंगों से सजा ले गौरी ,
तू अपना अंग -अंग !


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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