बालाजी साहनी
माँ तुम्हारे गले लगकर,,,,
आज महसूस हो रहा है,,,,
कि जीवन में रिश्तो की सोंधी महक क्या होती है............!
ममता की आँचल में
कितना सुकूनदायक अहसास है !
और सारे जहाँ से सुरक्षित जगह तेरी ही पनाहों में होती है !!!
जगदीश पांडेय
तुमसे ही तो मैनें जीवन पाया
तुमनें ही तो माँ जीना सिखाया
उंगली पकड कर माँ तुमनें ही
जीवन पथ पर चलना सिखाया
बालकृष्ण डी ध्यानी
माँ
तेरे आँचल
मे सुख ही सुख है माँ
दुःख तेरे से
कोसों कोसों दूर है माँ
आऊं तेरे पास में
खो जाऊं सपनो की गोद में
सुंदर सुंदर तेरी कहनीयाँ
माँ वो मीठी मीठे तेरी लोरीयाँ
तेरे आँचल
मे सुख ही सुख है माँ
दुःख तेरे से
कोसों कोसों दूर है माँ
तू है सबसे जुदा
तू ही तो माँ मेरा खुदा
रह जाऊं किस छोर में
रहूंगा सदा तेरी आँखों की कोर में
तेरे आँचल
मे सुख ही सुख है माँ
दुःख तेरे से
कोसों कोसों दूर है माँ
दिन हो रात हो
माँ बस तू मेरे पास हो
जन्नत की नही चाहों डोर मै
तेरे साथ ही माँ मेरी भोर हो
तेरे आँचल
मे सुख ही सुख है माँ
दुःख तेरे से
कोसों कोसों दूर है माँ
अलका गुप्ता
सृष्टि का वरदान !प्रथम तू ही है....मेरी माँ !
इस सृष्टि से पहले,तुझे ही जाना है मेरी माँ !
प्रथम तेरे स्वार्थ की अंतिम चाह भी...मैं हूँ |
हर दर्द...हर आह के साथ याद आती है माँ !!
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
माँ
माँ की ममता को, लफ्जो में तू मत तोल लेना
दूध और खून रग रग में तेरे, बस ये समझ लेना
है वो भगवान, भूल से भी निरादर मत कर देना
परिभाषित होती नहीं माँ, उसे हर पल पूज लेना
भूख - प्यास अपनी तुझ पर न्यौछावर करती है
तेरे सुख की खातिर, माँ खुद दुःख सब सहती है
ममता त्याग की मूरत, अर्चना भगवान से करती है
लम्बी उम्र हो तेरी, अपनी उम्र तुझे देने को कहती है
बच्चा चाहे कल हो जाए बूढा, माँ के लिए सदा बच्चा रहता है
हो संतान कैसी भी, माँ की जुबान में दुआओं का सागर बसता है
माँ के आँचल में छिपा है ब्रह्मांड, 'प्रतिबिम्ब' का इतना कहना है
कर्ज मातृत्व का चुका सकते नही, मान सम्मान जिन्दा रखना है
किरण आर्य
माँ और ममता
ईश्वर की कृति ऐसी
जो है खुद ईश्वर जैसी
आँचल में है प्यार भरा
मन उसका सोने से खरा
कपट नहीं उसमे है जरा
प्रेम का दूजा नाम है माँ
त्याग प्रेम की मूरत माँ
सुख की घनेरी छाव है माँ
माँ की महिमा अपरम्पार
आँखों में उसकी स्नेह संसार
गुना ना जाए उसका प्यार
माँ का दूजा नाम दुलार
Pushpa Tripathi
माँ को अर्पित सारा जीवन ..
माँ ही मन
माँ ही तन
माँ ही सृजन
माँ ही ईश्वर स्वरूपा l
माँ ही भक्ति
माँ ही शक्ति
माँ ही जीवन का आधार l
जीवन का अर्थ है क्या ?
क्या भला है और क्या बुरा
जिंदगी का अर्थ तुमसे ही जाना
मिसरी सी बोल तुमसे ही पाया
सोपानों की गिनती बतलाकर
माँ तुमने ही तो चलना सिखाया l
बहुत प्यार है माँ के आँचल में
स्नेह सुगन्धित बसंत बहार
चाहे उमरिया ढल भी जाए
माँ की ममता सदा महान
कुसुम शर्मा
माँ वो ममता का आँचल है
जिस पर रह कर बच्चा
अपने आप निश्चित रहता है
जिसके आगे दुनिया के सारे सुख भी
एक झूठा सपना लगता है
सोते उठते चलते खाते
बच्चा माँ ही माँ कहता है
माँ ही तो है जो बच्चे को
अपने आँचल में लेकर
दुनिया के धुप छाव से बचाती है
खुद गिले में सो कर उसे सूखे में सुलाती है
माँ का जैसा इस दुनिया में ओर नहीं है कोई
वो ही ममता की मूरत है
वो ही स्नेह की देवी
वो ही सृष्टि की रचना है
वो ही ईश्वर की कृति है
वो न होती तो कुछ भी न होता
न हम होते न तुम होते !!
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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