नैनी ग्रोवर
क्यूँ प्रति जी हमपे ऐसा, हाय जुलम ढा रहे हैं,
बिरह लिखने वालों से, हास्य-व्यंग लिखवा रहे हैं
बुरा न मानो होली है
बालकृष्ण डी ध्यानी, और रघु जी, भगवान् सिंह जयाड़ा,
पीकर भांग मंच पे देखो, कितना हुडदंग मचा रहे हैं..
बुरा न मानो होली है
आनंद कुनियाल, दीपक आरोड़ा, और गुरुवर वीरेंदर जी,
देख देख कर, सबकी ता ता थैया, मस्त ढोल बजा रहे हैं...
बुरा न मानो होली है
किरण, अलका, पुष्पा, सुनीता, रामी, ममता, और सरोज दी,
उषा और नैनी संग मिलके, हाय हाय बेसुरे गाने गा रहे हैं ...
बुरा न मानो होली है
Govind Prasad Bahuguna
मैं होला तुम होली
राग रंग में डूबे हमजोली
बांह पकड़कर बेणी खोली
सब मिलकर करते हैं ठिठोली
मैं होला तुम होली I I
भगवान सिंह जयाड़ा
क्या होली होती थी दिल्ली में ,
जब बैठ्ते सब यार मिल के ,
महफ़िल जमती थी सब की ,
बस फिर तो क्या कहना बस ,
होली तो होली होती थी हमको ,
गले मिलना गुलाल के संग ,
वाह क्या समा होता था वह ,
मन मस्ती में झूमता सबका ,
क्या मजा आता था सब को ,
नाचते गाते थे सब मिल कर ,
क्या होली होती थी दिल्ली में ,
जब बैठ्ते सब यार मिल कर ,
बालकृष्ण डी ध्यानी
होली पर कविता
होली की कविता लिखूं
छंद व्यंग हास्य रचना लिखूं
इसमें अपना सा लिखूं
या फिर पराया सा लिखूं
होली पर कविता लिखूं............
रंग गाल गुलाल लाल
उड़े मन बाजे मृदंग ताल
गीत और रंगों की बौछार
भावो विभोर कल्पना लिखूं
या यथार्थ या फिर सपना लिखूं
होली पर कविता लिखूं............
जीजा साली घरवाली
आधी,पूरी या बहार वाली
भांग ढोलक न्रत्य रास
खींचा खींची बयां पकड़ा पकड़ी लिखूं
या जोरा जोरी या सीना जोरी लिखूं
होली पर कविता लिखूं............
होली तो मन भोली है
उड़ते रंगों की भाव विभोर टोली है
ना आपना ना यंहा पराया
सब एक रंग आज एक समाया लिखूं
महंगाई या गरीब लिखूं
होली पर कविता लिखूं............
सुखा है सुखी होली है
आँखों से आंसूं की पिचकारी सी गोली है
व्यर्थ जाता पानी देखकर
क्या ये भारत वर्ष की शुभ होली है लिखूं
या बुरा ना मानो होली है लिखूं
होली पर कविता लिखूं............
Pushpa Tripathi
- होली के दिन तुम रहो तैयार .....
घर आई थी ईद दिवाली
अब तो होली की है बारी
अबीर गुलाल .. लाल गुब्बारे
होली के संग हुड़दंग है भारी ....
बच्चों की तो मांग बढ़ी है
पिचकारी की डिमांड बढ़ी है
रंग सजीले गुब्बारे पाकर
छिपे छिपाए फेंक रहे है .....
काका जी ने टोपी पहनी
आँख बचाए भाग रहे थे
गिरे धाय से रंगीन टब में
फिसले पाँव से टंगड़ी टूटी ......
डॉली आंटी सज धज आई
अंकल पर वो खूब भरमाई
राह कटीली निकल रही थी
बच्चों ने फिर शामत लाई ......
अब तो राह चलना दुश्वार
जाने कैसी होगी भरमार
खातिरदारी खूब चलेगी
होली के दिन रहो तैयार
अरुणा सक्सेना
होली के हुडदंग में सब जन गाये फाग
अलाप कहीं से ले रहे और कहीं का राग
भोर भये जब मच गया होली का धमाल
सराबोर तन हो गया मन हो गया निहाल
गुजिया और पकोड़ों में भाया स्वाद भांग का
कदम उठाये ज़मीन पर मज़ा ले रहे उड़ान का
शुभ हो शुभ हो होली पर्व सबको खुशियाँ ही मिले
रंग भरे इतने जीवन में जो कभी न कम पड़ें ....
Neelima Sharma
भाटिया जी खुश हैं
आज उन्होंने जमकर खेली हैं
साथ वाली अहलावत भाभी से होली
हर बरस बीबी के संग होली मानते थे
एक चुटकी रंग गाल पर लगाकर
बस खुश हो जाते थे
इस बार होली मिलन मैं जाऊँगा
जम कर होली मना ऊँगा
सोच कर मन ही मन हर्षाये
बीबी घर पर खेले होली
कॉलोनी के सारे युवा ,
उम्र के हो या मन से
होली मिलन में खेले होली
आज तो भैया जम के
घर आकर हाल जो देखा
मन ही मन घबराए
उन्होंने ने तो एक सिर्फ एक
अहलावत की जोरू संग खेली होली
यहाँ अहलावत कृष्ण कन्हैया बन
कॉलोनी मैं छाये
क्या बूढ़ी क्या कमसिन बाला
खुद उनकी अपनी बीबी
रंग रही थी उनके दुश्मन को
घर के बाहर लगा के ताला
हाथ पकड़ कर बाँह मरोड़ कर
बीबी को घर लाये
पलट के बोली
बुरा न मानो यह तो थी होली
देवर के संग बन के हम जोली
आज तो ज़म्के खेली होली
घर रहते तो तुम संग होती
बुरा न मानो सजन यह हैं होली
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ........
अब की बार ~
प्रिये तुझ संग खेली होली कई बार
रंग संग किया तुझसे प्यार कई बार
प्रिये होली का रंग चढ़ा हमें कई बार
खेलन दे होली भाभी साली संग इस बार
इस होली हमको प्रिये तू छूट देई दे
भाभी साली को रंग खूब पोतन दे
भर - भर पिचकारी उनको मारन दे
आज मुझे तू होली उन संग खेलन दे
Govind Prasad Bahuguna
भंग से त्रिभंग बने हम
और बिम्ब से प्रतिबिम्ब
मय से मादक बने हम
और रंग से रंगीन I
प्यार से प्यारे बने हम
और प्यास से प्यासे I I
और क्या कहें,
क्या- क्या बने हम,
देख के तस्बीर तेरी
Pushpa Tripathi
- होली है भई होली ..
बुरा ना मानो होली है .....
मै तुम्हारे आँगन आ जाऊं
होली है रंग लगा जाऊं
अबीर गुलाल से चहरे का मेकअप
तुम्हे भूत पिचास बना जाऊं l
खाकर गुझिया रस सब मलाई
तुम्हे सुरमा भोपाली बना जाऊं
आँखे तुम्हारी बन जाए बंद कटोरी
तुम्हे ऐसे अंजन सजा जाऊं l
किरण आर्य
बदल गया है भइया अब तो होली का हुडदंग
प्रेम बहुत कम दिखता दिखती है अब केवल जंग
दिखती केवल जंग रहा ना भाईचारा
अद्धे - पव्वे - ठर्रे ने माहौल बिगाडा
कहां रही अब वो ठंडी - ठंडी सी ठंडाई
कहां गूंजता फाग ढोल लेती अंगडाई
'ढिंक चिका' 'मुन्नी बदनाम' यही शोर गूंजे है
बूढे बच्चे सभी आजकल इसपे ही झूमे हैं
सीधे सादे लोग रहें अब डर के घर में
पता नहीं क्या बुरी खबर कल आ जाये पेपर में
होली के बहाने विकृत मानसिकता उभर कर आये
हाय भरे चौराहे पर अस्मिता आंसू खड़ी बहाये
अबीर गुलाल की जगह लहू से होली खेलें
मानवता सहमी हुई लगे स्वार्थ के मेलें
होली सिर्फ छुट्टी का दिन ही बनकर ना रह जाये
सोचो - सोचो देर कहीं ना वर्ना अब हो जाये
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
मज़ा आ गया ये सब रचनाये पढ़ कर ,सभी का धन्यवाद .....
ReplyDeleteअर्ज है कि
ReplyDelete(1) अच्छा हुआ दोस्त जो तूने
होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया
(2) हिन्दुस्तान का कवि
कितना आसान है
दुश्मनी को भुलाना
बस दुश्मन को घेरना
और उसे रंग है लगाना
(3) एक पाकिस्तानी फौजी कवि
कितना आसान है
दुश्मनी को निभाना
बस एक साइकिल एक टिफिन लेना
और उसमें बम लगाना
(4) होली के गेर में
सब हैं एक रंग
क्या अमीर क्या गरीब
सब हैं संग संग
(5) मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा
(6) अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा
(7) होली के रंग आज लगेंगे
कल उतर जाएंगे
मेरी मोहब्बत के रंग मगर
जिन्दगी भर साथ निभाएंगे
(8) आजकल की लड़कियां नहीं हैं रोती-धोती
खुले बालों में बदल चुकी हैं उनकी चोटी
लड़कों को बैखोफ सुना देती है खरी-खोटी
बड़ी-बड़ी सफलताएं भी उन्हें लगती हैं छोटी
सेलेरीज़ लेती हैं आजकल सभी मोटी-मोटी
(9) आपको रंगों से एलर्जी है
चलिए आपको रंग नहीं लगाएंगे
मगर साथ तो बैठिएगा
रंगीन बातों से ही होली मनाएंगे
(10) हम भी कभी युवा थे
अपने घने बालों पर मरते थे
सुबह, दोपहर-शाम
अपने बालों में कंघी करते थे
नित नई हेयर स्टाइल रखकर
सजते थे, संवरते थे,
फिर अपने सैकंड-हैंड स्कूटर पर
सवार होकर शहर भर में विचरते थे,
अब अपनी उम्र और अनुभव की सीख
नए युवाओं को यही बस यही सिखाती है
कि प्यारों जिन्दगी भर बालों के साथ
सारे प्रयोग करने के बाद
हर इंसान को अंत में मेरी यह डेविड छाप
सपाट हेयर स्टाइल ही पसन्द आती है।
वाह बहुत खूब .... शुभम
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