प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
~भाग जिन्दगी भाग ~
दौड़ती भागती जिन्दगी
फंसा जिन्दगी के चक्रव्यूह में
कब रोक पाया खुद को
जिन्दगी की हर जद्दोजहद से
पहिया जिन्दगी को घूमता रहा
अंत में खुद को पाया उसी जगह में
ममता जोशी
~~भागम -भाग~~
असीमित इच्छाओं की त्वरित पूर्ति के लिए,
दिन-रात खपती ,भागती ,दौड़ती ये जिंदगी ,
भीड़ से आगे निकलने की हमेशा जल्दी रही ,
कामयाबी और नाकामी के बीच झूलती ये जिंदगी ,
कुछ सुख हैं कुछ दुःख थोडी हंसी थोड़े आंसू ,
रिश्ते नाते,प्यार दोस्ती कुल जमा यही है जिंदगी ...
दीपक अरोड़ा
आओ प्यार बसा लें...
यूं ही न गुजर जाये ये जिंदगी
आओ हर पल को यादगार बना लें
कुछ ऐसा करें भागदौड़ कर कि
अपना नया इक हसीं संसार बना लें
कोशिश करें नफरत को दूर भगाने की
हर दिल में हम आओ प्यार बसा लें.. दीपक
कुसुम शर्मा
क्या है़ ये ज़िन्दगी
मनुष्य जीवन की धारा का प्रवाह है ज़िन्दगी,
बूँद भर पानी की प्यास है ज़िन्दगी,
लाचार बेवस करहाती है ज़िन्दगी ,
इस प्रकृति की चेतना,
प्राणियों के प्राण की श्वास है ज़िन्दगी
जो कभी ख़त्म न हो संसार में
एसी आस है ज़िन्दगी,
क्षण क्षण हरक्षण दौड़ती भागती है ज़िन्दगी,
इस पर भी कुछ फ़ुरसत के पलों की
मोहताज है ज़िन्दगी,
मनुष्य की बदलती आकांक्षाओं में
ख़ुशी के लिए तरसती सिसकती है ज़िन्दगी,
मनुष्य के ह्रदय के कोने में दवी
ख़ुशी की आस है ज़िन्दगी,
आदि अंत को पलड़ों में तौलती है ज़िन्दगी,
अंधेरों में रोशनी की एक किरण है ज़िन्दगी,
वक़्त के पहियों के थपेड़ों को
आजमाती है ज़िन्दगी !!
बालकृष्ण डी ध्यानी
भागता रहा
भागता रहा
यूँ मैं भागता रहा
ना जाने क्यों
किसके लिये यूँ
जागता रहा
भागता रहा
यूँ मैं भागता रहा
अपने घिरे घेरे में
मन के उस फेरे में
अपने को यूँ
हरपल बंधता रहा
भागता रहा
यूँ मैं भागता रहा
क्या छूट रहा है
क्या पाना चाहता है वो
अपने को इस समय साथ
क्यों ढलता रहा
भागता रहा
यूँ मैं भागता रहा
कैसी दौड़ा है
जाना किस ओर है
बिना सोचे समझे वो
उसकी दौड़ किस ओर है
भागता रहा
यूँ मैं भागता रहा
भागता रहा
यूँ मैं भागता रहा
ना जाने क्यों
किसके लिये यूँ
जागता रहा
भागता रहा
यूँ मैं भागता रहा
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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