प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
~ कर्तव्य हम निभाएं ~
ले कर हाथों में हौसलों की मसाल, देश हित में एक हो जाएं
बदल स्वार्थ का अपना स्वभाव, देश भक्ति का विश्वास जगाएं
आज हर दिशा से दुशमन देख रहा, आओ उसे सबक सिखाएं
अपने घर में पल रहे आतंकवाद को आओ मिलकर दूर भगाएं
अपनी सुरक्षा अपने हाथो में है आओ उसे और मजबूत बनाएं
भ्रष्टाचार से देश को बचाना है आओ घर से इसकी नीवं सजाएँ
सबकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा हेतू आओ हम कदम बढ़ाएं
समाज के हर वर्ग को सम्मान मिले, इस सोच का बिगुल बजाएं
पहले हुआ कुछ अगर गलत, कर शिक्षित आज कुछ नया कर जाएं
नर - नारी का भेद समझ, नए ज़माने संग अपवादों को हम मिटाएं
कलम से क्रांति संभव है लेकिन आज इसे रण क्षेत्र में लिख जाएं
ईमानदारी अपने कार्य में लाकर, आओ कर्तव्य हम अपना निभाएं
Neelima Sharma
हमें नही चाहिए किताबी कीड़े
हमें नही चाहिए कच्चे हीरे
हमें तलाश हैं उस जवानी की
जिसके हाथो में दम हो
क्रांति की आग जलने का
ईमानदारी की अलख जगाने का
वीर तुम आगे बढ़ो
धीर से बढ़ते चलो
विचारो का प्रवाह हो
ख्यालो पर अमल हो
परिवर्तन की आग हो
हाथ में मशाल हो
भारत माँ निहाल हो
Pushpa Tripathi
कदमो से कदम मिलाकर .
आओ मिलकर मसाल जलाए l
सोच नई है, राह नए है
जीवन के हर रंग नए है
फागुन के रंगीन मौसम में
आओ मिलकर मसाल जलाए l
समान शिक्षा का प्रसरण करके
अबोध अंधकार का नाश कर दे
भेद भाव का अर्थ मिटाकर
आओ मिलकर मसाल जलाएं l
न्याय बदलेगा , देश बदलेगा
देश के नेताओं का रूप बदलेगा
घर घर भ्रष्टाचार का अर्थ बताकर
आओ मिलकर मसाल जलाए l
बेटी जन्म पर अभिमान समझे
बुजुर्गों का सम्मान हम समझे
रहे एकता स्वच्छ समाज में
आओ मिलकर मसाल जलाए l
बालकृष्ण डी ध्यानी
मशाल जलते रहना है
मशाल जलते रहना है
छाया अंधकार वो अपने हक का
उसे हमेशा तुझे प्रज्वलित रखना है
सबल इरादों संग तुझे हरदम रहना है
मशाल तुझे जलते रहना है
क्रांती के पथ पर पथिक
क्रांतीकारी बन आगे को बड़ना है
नित नया मकाम तुझे हसील करना है
इतिहास के सुंदर पन्ने पर सजना है
मशाल तुझे जलते रहना है
शृंखला बध शृंखला तुझे जुड़ना है
कड़ी दर कड़ी के संपर्क में तुझे रहना है
अभी तुझे अथक अखंड तुझे जलना है
निर्बल को बल तुझे देना है
मशाल तुझे जलते रहना है
कितने देश भक्ती के और गीत गाना है
कितने फंदों पर और हमे झूल जाना है
हे माँ तेरी धरती पर ये शीश चडाना है
मशाल बनकर बस यूँ ही जलना है
मशाल तुझे जलते रहना है
मशाल जलते रहना है
छाया अंधकार वो अपने हक का
उसे हमेशा तुझे प्रज्वलित रखना है
सबल इरादों संग तुझे हरदम रहना है
मशाल तुझे जलते रहना है
किरण आर्य
हौसले मेरे मशाल से रौशन रहे
कंटक भरी हो डगर चाहे कितनी
आस की लो प्रजव्ल्लित रहे ..........
देशप्रेम राष्ट्रहित हो ध्येय जीवन का
निज से हट परहित बढ़ाये मान
सत्कर्म संग जीवन चलता रहे .......
आक्रोश को मन के शस्त्र बना ले
बन सबल अविचल से डटे रहे
हौसले मेरे मशाल से रौशन रहे
नैनी ग्रोवर
चाहे हो आंधी या तूफ़ान, ये मशाल ना बुझने पाएगी,
बड़ चले हम मंजिल की और, ये राह न रुकने पाएगी..
अब ना सहेंगे कोई जुल्म, ना किसी और पर होने देंगे,
अब कोई भी नारी, इस धरती पे, यूँ ना लुटने पाएगी..
वो हो कोई बाहर के दुश्मन, या देश में छुपे हुए गद्दार हों,
देंगे कुचल इनके मंसूबे, अब ये कसम ना टूटने पाएगी...
ऐ माँ भारती, है वादा तुझसे, अब तेरी वीर संतानों का,
परचम रुपी यह तेरी बिंदिया, कभी ना झुकने पाएगी .!!
भगवान सिंह जयाड़ा
जब जब उठती है हाथों में यह मसाल ,
दिलों में जूनून और जोश भर देती है ,
कुछ करने की तमन्ना दिलों में भर देती हैं ,
इस की शक्ति से बदलती है यह दुनिया ,
आजादी की देवी की निशानी कहलाती है
जहां जहां भी जली यह मसाल हाथों में ,
वहा वहा लोगों ने आजादी की ख़ुशी पाई ,
कभी न बुझने पाए अब यह जलती लौऊ ,
इस को मार्ग दर्शक हम सब को बनाना है ,
ले कर हाथों में यह जलती हुई मसालें ,
हम सब को भविष्य अपना संवारना है ,
डॉ. सरोज गुप्ता
मैं हूँ मशाल
मैं हूँ मशाल
मैं हूँ उन हाथों में
जो लाकर क्रान्ति
मिटाते भ्रान्ति
स्थाई करते शान्ति !
मैं हूँ मशाल
मैं दिखाती रोशनी
हर महाभारत में
हर धृतराष्ट्र को
पहचान लें अपनी
मन की आँखों से
अपने पुत्रो की बदनीयती
अपनों के प्यार में
जो भी रहा अंधा
नहीं मिला उसे कभी
किसी युग में
अपनों का कंधा !
मैं हूँ मशाल
पार्थ की सारथी
इस बार पार्थ
है बहुत आक्रोशित
दुशासन को देगा चीर
उसने किया अब किसी
द्रोपदी का हरण चीर !
मैं हूँ मशाल
मैं हूँ उन हाथों में
जो लाकर क्रान्ति
मिटाते भ्रान्ति
स्थाई करते शान्ति !
अलका गुप्ता
निज कला और ज्ञान विज्ञान के प्रसार का प्रयास हो |
हिन्दुस्तान की अखंडता के लिए क्रान्ति एक महान हो |
आतंकवाद भ्रष्टाचार के खिलाफ हर तरफ आवाज हो |
निज संस्कृति संस्कार की हर हाथ में एक मशाल हो ||
Bahukhandi Nautiyal Rameshwari
जलते नहीं हाथ कभी, उठाने से सर्वशिक्षा अभियान की मशाल ॥
अंगूठे ने घर हैं फूंके, रोशनाई से कलम की, जीवन हो खुशहाल ॥।
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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