~बालकृष्ण डी ध्यानी~
लड़ते रहो
अकडाम चक्रम
तिकडाई रै
दिखने हमारी
ऐ लड़ाई रै
सारी मीडिया देख
उभर आई रै
देख जोर पे
तू एक जोर दे
एक तू खिंच
एक मै खिंच दूँ
खिचडी पकी
बीरबल की
कुर्सी टूटी संसद की
हंगाम तू यूँ और बरपा
मुद्दा तू चुपके से सरका
वोटों की नीती मै
तू अपना मसाला लगा
फिर आ धड़का
मुर्ख हम बनाये
इन को यूँ ही लड़ायें
डाला धर्म का तड़का
क्या उभरा है स्वाद वाह
लगा इन को लड़ाई का चस्का
अपना बस ऐसे काम बनता
अकडाम चक्रम
तिकडाई रै
दिखने हमारी
ऐ लड़ाई रै
सारी मीडिया देख
उभर आई रै
~जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु~
गुस्सा इतना क्यों आ रहा है,
देख रहे हो डंडा,
लंबा इतना कर दूंगा,
हो जाओगे ठंडा,
तेरी तो ऐसी तैसी,
तोड़ दूंगा तेरा डंडा,
पछताएगा तू बहुत,
फिर हो जायेगा ठंडा
~Pushpa Tripathi~
जैसा है तू
वैसा ही मै
हम दोनों है आग बबूला .....
तू है गरम
मै हूँ लाल
हम दोनों है लाल और पीला ...
मै न अलग
तू ना थलग
हम दोनों है एकदम ही एक ....
तेरी हुंकार
मेरी पुकार
हम दोनों है चुनौतियों से भरे .....
डंडे पे डंडा
सवा सेर अंडा
हम दोनों हुए है ढेर ...
कुछ न होगा
लड़कर मरकर
हम दोनों ने सुलह कर ली
टाटा-टाटा मेरी
बाय -बाय तुम्हारी
हम दोनों चले है घर
~नैनी ग्रोवर~
उठा के लट्ठ हाथों में अपने, बन गए ये लठ्ठराज,
बस यही हुड्दंग आये इन्हें, आये ना दूजा काज..
ना वास्ता किसी के दर्द से, बन गए हैं खुदगर्ज़ ये
अंजाम की परवाह नहीं, समझें खुद को सरताज .
~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल~
लड़ते लड़ते मर जाओगे,लेकिन हाथ कुछ न आएगा
प्रेम का संचार करो 'प्रतिबिम्ब', जीवन सुधर जाएगा
~ममता जोशी~
सुनो जिंदगी अपनी हंस खेल के बसर करना,
नफरतों के रास्ते पे कभी सफ़र न करना ..
सच्चे दोस्त मिलें तो दोस्ती की कदर करना...
~किरण आर्य~
नफरत और लड़ाई से क्यों करे सगाई
नफरत ना दे कोई राह ये ना सगी भाई
नफरत समान जर्जर काया संग इसके
किसी ने ना कुछ पाया जो था वो गवाया
प्यार को अपना संगी सखा तुम बनाओ
हंसो नाचो गाओ और खूब खिलखिलाओ
प्यार का सन्देश हर दिल को देते जाओ
~अंजना चौहान सिंह ~
क्यूँ हाथ में डंडा
कर लो दिमाग को ठंडा
बहुत हुआ अब
मान भी जाओ
मत हाथ उठाओ
एक दूजे पर
होगा नहीं हासिल
~अलका गुप्ता~
चिंटू पिंटू थे दो भाई
करते थे आपस में खूब लडाई
एक दिन मम्मी को गुस्सा आया
कर दी दोनों की खूब पिटाई
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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