नैनी ग्रोवर
तुझसे मिले छाँव मुझे, तू ही बरखा से है बचाए,
और कभी कभी तू बूड़े दादा की, लाठी बन जाए ..
हाथ में हो गर छतरी, तो बड़े काम ये आती है,
राह में चलती नाज़ुक नार, वीरांगना बन जाती है
इसके साए में बैठ के प्रेमी, गीत प्रेम के हैं गाएँ.
बालकृष्ण डी ध्यानी ...
छाता मेरा
छाता मेरा
या मै छाते का
दोनों घुमे
संग संग झूमे
छाता मेरा
गोल गोल है
देखो ये चक्रधारी
जैसे वो दिखे
लगे मेरे मुरारी
छाता मेरा
धुप बरखा
का वो रक्षक
तन मेरा मन मेरा
रहे अब सुरक्षीत
छाता मेरा
छाता मेरा
मुझे सीखता
अपने पराये
को मीत बनता
छाता मेरा
छाता मेरा
या मै छाते का
दोनों घुमे
संग संग झूमे
छाता मेरा
किरण आर्य
छाता हाँ छाता ये
जगा गया उन
अहसासों को फिर
जब पहली बारिश में
भीगे हम तुम .............
वो मौसम की नमी
महसूस हुई फिर
वो थाम हाथ मेरा
मुस्कुराना तेरा
और अल्हड़ सी
हंसी सजोये आँखों में
भीगना और चलना संग तेरे ......
वो बारिश देखो
आज फिर भिगो गई
सुप्त अहसासों को
जो उस प्रथम मिलन
के साझी थे तब भी
और आज भी .........
आज फिर रूह
महक उठी फिर
सौंधी मिटटी की
महक से
जो रच बस गई थी
मन में
और छाता वो
मुस्कुरा रहा था
उस मिलन पर रूह से रूह के
ममता जोशी
नीली छतरी ,पीली छतरी,
देखो रंग बिरंगी छतरी ,
वर्षा हो या धुप घनेरी ,
सुख और दुःख की साथी मेरी,
हर मौसम में साथ निभाती ,
आसमान सी सर पर छतरी...
डॉ. सरोज गुप्ता
मेरे छतरी वाले रे
दिलों पर आकर राज किया !
जब जब उड़ी सावन की फुहारे
लहराई जब केश राशि
भीगने लगा मेरा आंचल
शीत से कम्पित हुआ गात
तू भागा चला आया
ले छतरी अपने हाथ !
मेरे छतरी वाले रे
दिलों पर आकर राज किया !
रात के अंक में
भोर की आस में
डूब गए जब मेरे
रुपहले सृजन
उदास हुयी सूरज की लाली
तूने ही गले लगाया
ओ आकाश की छतरी नीली !
मेरे छतरी वाले रे
दिलों पर आकर राज किया !
देखा मैंने ओ छतरी
जब तुझे पकड़े
चल रहे थे संतरी
पापो की गठरी लिये
आगे -आगे भाग रहे थे मंत्री
उतर जायेगी सारी ऐंठ
जब होगी नीली छतरी वाले से भेंट
नहीं है यह कोई मामूली टेंट
यह है विमान जंबो जेट
जब उड़ जाएगा
अभिशापों से
भीग जाएगा पोर -पोर !
मेरे छतरी वाले रे
दिलों पर आकर राज किया !
Vinay Mehta
नीले नीले अम्बर पे जब भी कुछ छाए
मेरी रंगीन छतरी झट से फिसल हाथों से
टपक सर पे आ जाये मौसम को चिडाये
काश सरमाया हो ठीक एसा ही, मेरे खुदा
जब बदली दुःख गगन सर चढ़ के आये
तेरी रहमत छतरी सब पे यु ही आ जाये !!
अलका गुप्ता
देख कर छतरी याद आ गई
हे ! उपर वाले तेरी छतरी |
जिसकी छाया में जीता हर प्राणी |
ये छतरी मेरी कितनी सीमित |
केवल स्वार्थी तन मन को है बचाती
धूप और बरसात की छीटों से
पर हे ! उपर वाले तेरी छतरी !
कभी नही हटती ...किसी बेचारे से !
कभी नही करती भेद-भाव |
पल-पल बदले रूप निराले |
कभी नीले से लाल....
कभी काले सफेद बदरी वाले |
कभी सूरज चाँद कभी टंके सितारे |
कभी घोर कालिमा वाली हो जाती
कितना सुंदर कभी इंद्र धनुष बनाती||
भगवान सिंह जयाड़ा
वाह रे छतरी तेरी माया न्यारी ,
धूप हो या बारिस सदा तैयारी ,
हर मौसम में है तेरी जरूरत ,
विन तेरे यात्रा सब की अधूरी ,
रंग बिरंगी तेरी यह सूरत ,
भाये हम सब को न्यारी ,
सबके हाथों में तुम लगाती प्यारी ,
वाह रे छतरी तेरी माया न्यारी ,
धूप हो या बारिस सदा तैयारी,
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
मैं हूँ छतरी
धूप हो या बरखा करते सब मेरा प्रयोग
कभी हथियार कभी सहारा बनाते लोग
राजा महाराजो की शान मुझसे बढ़ती थी
बाकी लोगो के हाथो में काली दिखती थी
प्रेमियो के भाव मेरे तले साँस लेते थे
गीतों भी में मुझसे अभिनय कराते थे
आज बदल गया मेरा रुप और आकार
अब विभिन्न रंगों में आती हूँ मैं नज़र
वों मेरा विशाल रूप अब कहीं खो गया है
अब तो तोड़ मोड़ कर पर्स में आ जाती हूँ
अब मेरे नये रूप को तुमने अपनाया होगा
शायद पुरानी यादो में तुमने संजोया होगा
Bahukhandi Nautiyal Rameshwari
मैं नीली पीली छतरी ।
मैं भीगी2 सी छतरी ।
कितने ही प्रेमी युगलों की तसवीरें ।
मेरी छाया तले उतरी ।
कितने ही रूमानी गीतों की प्रेरणा हूँ । ।
प्रेम मिलन की गवाह हूँ मैं ।
ज़माने से बेपरवाह हूँ मैं ।
रंग बिरंगी वेशभूषा मेरी ।
बालपन की उमंग हूँ मैं ।
ताप की दवा हूँ मैं ।
धूप से लड़ी हूँ मैं ।
मैं भी रूप हूँ माँ का ।
प्रेम का आँचल दूं, मैं ।
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सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/
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