Friday, January 18, 2013

23 दिसंबर 2012




~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ~
आसमां को भी खबर हो गई
शायद प्रेम का अहसास हुआ है
तन - मन मेरा भीग रहा है
सावन सा दिल झूम उठा है
'प्रतिबिंब' उसका दिख रहा है
बंद आंखो मे उतर रहा है
मन मयूर सा नाच रहा है
तन - मन मेरा भीग रहा है

~नैनी ग्रोवर~
जब-जब याद वो आये, मेरे होठों पर फ़रियाद रहे,
अब के बरस इतना बरसो, बरसों-बरस तक याद रहे

~उदय ममगाईं राठी ~
इस सर्द की ठिठुरन में
क्यूँ बिन बात के रिमझिम बरसता है
जब जून की तपिश में तुझे पुकारा
तब तू खाली गरजता है
ये न सोचना की इस तरह डर जायेंगे
तेरी चमचमाती कड़क पर
हम तो धरती माँ के लाल हैं
जिंदगी बिता देंगे इस सड़क पर

~बालकृष्ण डी ध्यानी~
बूंदों की शरारत
जगी दिल अग्न
प्यास तन मन
रिमझिम सावन

टिप टिप पड़े तन
बरखा का वो जल
मचल जाये ये मन
गीला वो पल पल

याद सखी आये वो
दिल तपन बड़ाये वो
कंही ओर ले जाये वो
भीगा हुआ ये बदन

बूंदों की शरारत
जगी दिल अग्न
प्यास तन मन
रिमझिम सावन

~Virendra Sinha Ajnabi .~
मेरे आशियाने में भी कहाँ है छत,
छतरी मुझे तो गैर-ज़रूरी लगती है.
तू भी बरस ले आसमां मुझ पर,
दुनियां भी तो मुझपे बरसती है

~ममता जोशी ~
मस्त पवन करती मनमानी,
रिमझिम बरस रहा है पानी,
मधुर मधुर पल ऐसा जैसे की,
भूल गए सब खटपट जीवन की
 

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