Friday, January 18, 2013

19 दिसम्बर 2012



~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल~ 
हौसला लिए उड़ रहा हूँ आसमा मे, एक आशियाना बनाऊँगा 
जोड़ कर तिनका - तिनका 'प्रतिबिम्ब' जहां अपना बसाऊंगा

~बालकृष्ण डी ध्यानी~
देख मन चित्र का
तन के भीतर का मन बोला
उड़ता खुला आकाश देखकर
घोसलों का तिनका डोला
आने वाल है कोई आपना
फैला हुआ ये पंख बोला

~Ps Rautela ~
शुभ सबेर उम्मीद की,
इस उड़ान पर मै,
निकल जाये,
जरुर मिलेगी मंजिल,
वो बैठी देखो....इन्तजार मे,

~Virendra Sinha Ajnabi ~
देखी, हमारी है कैसी शान,
धरती पे करते गृह-निर्माण,
वायु-मार्ग से लाते सामान,
नियोजन,संयोजन की क्षमता,
ये प्रकृति हमें भी करे है प्रदान,
देखना, बनेगा नशेमन आलिशान

~भूषण लाम्बा~
परिवार बसाना आसान काम नहीं
घर बनाना कोई आसान काम नहीं,
पंछी को भी मुशक्क़त करनी पड़ती है,
घोसले के तिनके जुटाने के लिए।

~भगवान सिंह जयाड़ा~
दर दर भटकते भहुत हो गया ,
चलो एक आशियाना बनाए अब ,
नन्हें मुन्नों की चहचहाट हो ,
ऐसा एक प्यार सा घर बसायें ,

~किरण आर्य ~
करूँ विचरण उन्मुक्त गगन में पंछी बन ए मन मैं
रख हौसला तिनका हरेक जोडू कर्मयोद्धा बन मैं
है अडिग विश्वास सफल होगा हर एक प्रयास मेरा
नभ की उचाईयों को झुका कदमो तले ही दम लूँ मैं

~ममता जोशी~
में तो परिंदा हूँ किस हद तक रखोगे रोक कर मुझ को,
अभी मेरे परों में कामयाबी की उड़ान बाकि है ..

~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल~
मैं एक परिंदा हूँ, जमीन-आसमां मे विचरण करता
हौसला ऊंचा रखना 'प्रतिबिम्ब', संदेश तुम्हें ये देता

~अरुणा सिंह ~
उँची उड़ान तेरी अरुणा
कोई ना रोक पाए
बस नज़र अपनी मंज़िल पर
उड़ती जा बिना अपना विश्वास खोए

No comments:

Post a Comment

शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिए !!!