Friday, January 18, 2013

08 जनवरी 2013



~नैनी ग्रोवर ~

हाथ से हाथ तो मिला, 
दिल से दिल मिल ही जाएगा,
यही सहारा बहुत है ऐ दोस्त,
आज जिंदगी जीने के लिए

~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ~

केवल हाथ मिलाकर न चले जाना,
बढ़े हाथ को मेरे थाम लेना
अपना सा लगे अगर 'प्रतिबिम्ब',
दिल मिल गया समझ लेना

~सुनीता शर्मा ~

दोस्त मिले हो बर्षों बाद ,
अबके निभाना हरदम साथ !
मैं तो क्लर्क छोटा सा ,
तुम बन गए हो मेरे साहब !
मैं तो सुदामा इस युग का ,
तुम बन कर दिखाओ द्वापरी कृष्ण !
कलयुगी कालिख दोस्ती पर ,
तुम खिलाओ श्वेत स्नेह कमल !
दुनिया मैं फिर कायम होगा ,
हाथ से यु मिलाएं हाथ बनके मिसाल !

Vinay Mehta

काश के अगर होता इत्तेफ़ाक़ ..
तो कुछ एसा हो जाए !
हाथ पकड़े वो चले उस राह
जो मुझ पे ही तमाम हो जाये !!

~बालकृष्ण डी ध्यानी ~

वो हाथ मिलना

हाथ मिले हैं हाथों से
देखो बात चली है आज हाथों से
दोस्ती की राह बनी है हाथों से
दिल दिल मिले हैं हाथों से

हस्ताक्षर किये हाथों ने
एक करार किये इन हाथों ने
लिखावट तेरे भुजा भुज की
बाँह फैलाई इन हाथों ने

मछली का पंख सा वो
हिलनेवाला वो अंग सा हो
हस्त आन्दोलन हुआ ऐसा
कलम ना चली उस पर वैसे

वो हाथ मिलना तेरा
यूँ करीब आना वो तेरा
एक घर सा कर गया वो
साथी साथ ही चला तो अब

हाथ मिले हैं हाथों से
देखो बात चली है आज हाथों से
दोस्ती की राह बनी है हाथों से
दिल दिल मिले हैं हाथों से

~जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु~

मित्र आज तुम,
मुझे बहुत दिनों बाद,
कहाँ से मिल गए,
ह्रदय हमारे खिल गए,
मै तो आज भी,
उसी हाल में हूँ,
तुम तो एक,
बड़े इंसान बनकर,
कुछ तो बदल गए

~अलका गुप्ता ~

चलो कुछ ऐसा करते हैं हम |
जिससे गम - ए - दिल को...
सुकून कुछ मिल जाए |
तुम भी हलके हो जाओ मन से ,
हम भी हलके हो जाएँ |
हम प्यार ना करें बेशक ...
मगर दिल के सच्चे हो जाएँ |
बगल की छुरियां फेंक के हम |
मुख के राम को बचाएँ |
मुख के राम को बचाएँ ||

~किरण आर्य~

थाम हाथ प्यार से साथी
मीठे से स्वप्न गुन लें
आज हाथ है मिले
आओ अब दिल बुन लें
दिलो में प्यार के नीड़ बसा
लोचनों में प्यार भर लें
वक़्त की स्वर लहरियों पर
अहसासों के भाव चुन लें
आओ थाम हाथ इक दूजे का
हमकदम बन साथ चल ले

~Pushpa Tripathi ~

हाथों में हाथ देता है साथ
कई मुश्किलें आसन करता है साथ
ये साथ भी कैसा हो
हम सफ़र साथ निभाने जैसा
सच्चे दोस्ती से हाथ मिलाने का
एक अदब नजरिये जैसा हो
चलता रहे धुन में, फिर धूप या छांव हो
अनगिनत राहों पर बिछे फूल जैसा हो
बढे जो दोस्ती के कदम
फिर पीछे हटना नहीं
मिलाकर हाथ
फिर दूर हटना नहीं

~भगवान सिंह जयाड़ा~

जब मिल गया दोस्ती का हाथ ,
निभाना एक दुसरे का साथ ,
हाथ से हाथ मिले जब साथ ,
दे सकते हर किसी को मात ,
दिली चाहत हो एक दूजे की ,
न हो कभी दिखावे का साथ ,
यूँ मजबूरी बस न मिलें कभी ,
फिर भी चाहत बनाए रखना ,
बादा किया साथ निभानें का ,
इस को सदा संयोजे रखना ,
सुदामा कृष्ण की जोड़ी सदा ,
अपना आदर्श बनाए रखना ,


सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/

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